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4 सितम्बर को दिल्ली स्थित दिव्य धाम आश्रम में आयोजित मासिक आध्यात्मिक सत्संग कार्यक्रम में भक्तों का बड़ी तादात में आना हुआ| उपस्थित साधकों ने गुरु चिंतन को मन में बसाए भक्ति मार्ग पर निरंतरता से बढ़ने का संकल्प लिया| श्री आशुतोष महाराज जी की साध्वी शिष्याओं ने समाज में तेज़ी से बढ़ती हिंसा का प्रतिकार करते हुए बताया कि जहाँ बाहरी तौर पर की गई हिंसा मानव को त्रस्त करती है, वहीं मानसिक हिंसा मनुष्य के आचरण पर प्रभाव दिखाती है| विश्वस्तरीय हिंसा का कारण मानसिक हिंसा ही है| आज का इंसान अगर समाज में पनपती इस महामारी से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे निश्चित ही मानसिक स्तर पर शांति को पाना ही होगा| हर युग में हिंसा के वार को अहिंसा के कवच से ही रोका गया है| आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा सकारात्मकता के प्रसार से मानसिक विचारों को संपोषित किया जा सकता है| अंगुलिमार डाकू, सज्जन ठग- ऐसे ऐतिहासिक पात्र हैं, जिन्होनें ज्ञान द्वारा न केवल जीवन से सदा के लिए कायिक हिंसा को समाप्त किया बल्कि मानसिक हिंसा को भी तिलांजलि दे दी| साध्वी श्यामा भारती जी, साध्वी रूचि भारती जी, साध्वी प्रवीणा भारती जी, साध्वी श्वेता भारती जी व स्वामी नरेन्द्रानंद जी ने सभी में एक नई उर्जा का संचार कर दिया| कार्यक्रम में संत समाज ने भक्ति से ओतप्रोत भजनों का गायन करते हुए भक्ति मार्ग पर बढ़ने का संदेश दिया| साथ ही “तुलसी रोपण- A special Tulsi distribution and plantation initiative to purify the environment”   के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम coordinator साध्वी अदिति भारती जी ने तुलसी सम्बन्धित जानकारी प्रदान की| उन्होंने बताया कि आयुर्वेद ने तुलसी को महा औषधि बताया है| और विज्ञान भी तुलसी की गुणवता व् लाभ को स्वीकार कर चुका है| आज प्रदुषण से विषाक्त हो चुकी भूमि, वायु व् जल को तुलसी द्वारा पुनः शुद्ध किया जा सकता है| इस अवसर पर संस्थान द्वारा लगभग 1300 तुलसी के पौधों का मुफ़्त वितरण किया गया व् लोगों से अपील भी की गयी की वह अपने घर व् आस-पास के क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा तुलसी रोपण कर अपना सहयोग दें|

Monthly Spiritual Congregation Untangling the Web of Life at Divya Dham Ashram, Delhi

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