“साधक वह है जो प्रभु को उनके आशीर्वादों के लिए धन्यवाद देता है; लेकिन सच्चा साधक वह है जो कठिनाइयों में भी भगवान के प्रति कृतज्ञ रहता है”
प्रार्थना सिर्फ हाथों को जोड़ व आँखें को बंद करते हुए कुछ शब्दों को कहना नहीं है। वास्तविक प्रार्थना हृदय की गहराइयों से निकलती है। यह वास्तविक प्रार्थना हमें सभी कष्टों व बन्धनों से मुक्ति व मोक्ष प्रदान करने हेतु शक्ति और विश्वास प्रदान करती है।
भक्तों के जीवन में खुशी और उत्साह का एक नया आयाम देने हेतु और उनके जीवन को सकारात्मकता के एक नए स्तर पर ले जाने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 14 अप्रैल, 2019 को नूरमहल आश्रम, पंजाब में मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम मात्र भक्तों को एक छत के नीचे इकट्ठा करने के लिए नहीं बल्कि उन्हें आध्यात्मिक क्रांति द्वारा राष्ट्र में एकजुट करने के महान लक्ष्य की ओर बढ़ता एक महत्वपूर्ण कदम है। भगवान के प्रति समर्पण भाव से रखी गयी भक्ति रचनाओं की श्रृंखला ने दिव्यता की अथाह तरंगों का निर्माण किया और प्रत्येक शरीर, हृदय (मन) और आत्मा के भीतर सर्वोच्च ऊर्जा को प्रसारित किया। दिव्य संगीत के साथ ही प्रचारक शिष्यों ने आध्यात्मिक प्रवचनों द्वारा भक्तों को प्रेरित किया।
विद्वत प्रचारकों ने आध्यात्मिक रूप से लोगों को ज्ञान समृद्ध करके का प्रयास किया। शिष्य की प्रत्येक क्रिया आध्यात्मिक यात्रा की ओर उन्मुख होनी चाहिए। हालाँकि, कभी-कभी हमारी आस-पास की परिस्थितियाँ इन क्रियाओं को पूर्ण करने में बाधा उत्पन्न कर देती हैं। साध्वी जी ने बताया कि ऐसे समय में गुरु के पवित्र चरणों में सम्पूर्ण विश्व के कल्याण हेतु प्रार्थना करनी चाहिए। प्रार्थना एटीएम (ATM) कार्ड की तरह है, इसका उपयोग आप तब करते हैं जब आपको किसी चीज की आवश्यकता होती है। ईश्वर के समक्ष प्रार्थना करने से पहले हमें यह बात समझनी भी अनिवार्य है कि हमें किस वस्तु के लिए प्रार्थना करनी है। प्रार्थना का वास्तविक उद्देश्य मात्र भौतिक संसाधनों को प्राप्त करना नहीं है। श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं “एक आदर्श शिष्य हमेशा अपने गुरु के प्रति कृतज्ञ रहता है चाहे परिस्थितियाँ अनुकूल हो या प्रतिकूल हो। ”
लोगों ने ध्यान से इन सिद्धांतों और दिव्य शब्दों के अर्थों को समझने का प्रयास किया। आध्यात्मिकता से ओतप्रोत गहन शब्द निश्चित रूप से शिष्यों को जागृत कर उन्हें भक्ति मार्ग की ओर प्रेरित करते है।
सभा का समापन सामूहिक ध्यान सत्र व सभी के लिए प्रसन्नता, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध जीवन की दिव्य प्रार्थना के साथ हुआ।