मनुष्य की प्रतिभा का मूल, स्पष्ट मन में छिपा है, जहाँ से हर विचार उभरता है।
महर्षि महेश योगी
सुंदरकांड, श्री हनुमान जी के जीवन पर आधारित भक्ति और विशुद्ध शिष्यत्व की प्रतीक गाथा है। भक्ति के मार्ग पर उनका समर्पण ऐसा था कि मात्र श्री राम कार्य की सिद्धि हेतु ही वह मुख से शब्दों का उच्चारण करते थे, अन्यथा वह सदैव भीतर निहित श्री राम के नाम से जुड़े रहते थे। उनकी इस साधना का प्रभाव तब स्पष्ट हो जाता है जब वह सागर पार लंका में अनेक कठिन परिस्थितियों में भी संतुलन, विवेक, ज्ञान, भक्ति व शक्ति का अनुपम उद्धरण रखते हैं।
जो भक्त, पूर्ण गुरु की कृपा द्वारा ईश्वर से जुड़ने की विधि को जान लेता है, वही शाश्वत व अनन्त आनंद के साम्राज्य को अपने भीतर प्रगट कर लेता है। परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा अंतर्घट में दिव्यज्ञान के माध्यम से ईश्वरीय साक्षात्कार विषय पर प्रकाश डालने हेतु, ऑस्ट्रेलिया के अनेक क्षेत्रों में सुंदरकांड के आध्यात्मिक कार्यकर्मों का आयोजन किया गया:
- 19 अप्रैल 2019 को डोलैंडेला, क्वींसलैंड
- 20 अप्रैल 2019 को सनीबैंक, क्वींसलैंड
- 22 अप्रैल 2019 को स्प्रिंगफील्ड लेक, क्वींसलैंड
- 25 अप्रैल 2019 को स्प्रिंग माउंटेन, क्वींसलैंड
कार्यक्रम का संचालन संस्थान प्रचारक साध्वी दीपिका भारती जी और साध्वी भावना निगम भारती जी ने किया।
सुंदरकांड की व्याख्या व संगीतमयी चौपाइयों और मधुर भजनों के समन्वय में दिव्य तरंगों का संचार किया। कथाव्यास ने वर्तमान में गिरते नैतिक मूल्यों व संस्कारों के जागरण हेतु सुंदरकांड की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। भक्त हनुमान जी की गाथा द्वारा दिव्य प्रेरणाओं के लेते हुए, लोगों ने जाना कि वास्तविक भक्ति ही जीवन में संतुलन का मूल मंत्र है। साध्वी जी ने रामराज्य की महत्ता के विषय में बताया कि “रामराज्य में ईमानदारी, भाईचारा, आध्यात्मिकता और आनंद का वास है, परन्तु यह राज्य तभी साकार हो सकता है जब हर मानव आत्मिक स्तर पर जागृत हो जाए”। जहाँ मानव आत्मिक स्तर पर जागृत होता है, वहीँ प्रसन्नता और चिरस्थायी आनंदित ऊर्जा प्रवाहित होती है। सभी धर्मग्रंथों में वर्णित है कि समय के पूर्ण सतगुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर मानव आत्मिक स्तर का अनुभव कर सकता है।
जिस प्रकार भगवान राम, हनुमान जी के सतगुरु थे, उसी प्रकार वर्तमान में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी, सतगुरु रूप में धरा पर पूर्ण जागृत सत्ता है, जो ब्रह्मज्ञान के माध्यम से दिव्य नेत्र को जागृत कर लाखों मानवों में देवत्व का संचार कर रहे हैं।
वास्तव में ब्रह्मज्ञान ही भक्त और भगवान के शाश्वत संबंध को स्थापित करने का सटीक मार्ग है। हमारे भीतर निहित सद्गुण हनुमान जी के समान तभी दुर्गुण रूपी रावण के अंत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है, जब हम अपने विचारों व कर्मों का दिव्य चेतना के साथ सामंजस्य कर पाएं। सुंदरकाण्ड की प्रस्तुति आज के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए की गई, जिसके द्वारा उपस्थित लोगों ने जीवन में स्थिरता, सुख व आनंद की प्राप्ति का मार्ग पाया। ब्रह्मज्ञान हेतु अनेक अभिलाषियों द्वारा प्रगट की गयी जिज्ञासा ने कार्यक्रम की सफलता को चिन्हित किया।