बचपन जीवन का आनंददायक चरण होता है और साथ ही इसे एक संवेदनशील चरण भी माना जाता है। यही वह चरण होता है जिसमें यदि उसे सही मार्गदर्शन मिले तो वह अपने देश के विकास में सहयोग दे सकता है, वहीं गलत मार्गदर्शन में वह अपने देश के लिए घातक भी सिद्ध हो सकता है। इसी बात का ध्यान रखते हुए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र नामक एक प्रकल्प की शुरुआत की जिसका लक्ष्य देश के अभाव ग्रस्त वर्ग के बच्चों को निशुल्क एवं मूल्याधारित शिक्षा प्रदान करने के साथ शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान कर उनके संपूर्ण व्यक्तित्व को निखारना है।
अक्सरां हम देखते हैं कि बच्चे विद्यालय में जो कुछ भी सीखते हैं घर पर ठीक उसके विपरीत वातावरण ही देखने को मिलता है। घर में भी बच्चों को यदि अनुकूल वातावरण मिले तो उनके सीखने-समझने की क्षमता बढ़ जाती हैI इसके लिए मंथन समय-समय पर अभिभावक-शिक्षक बैठक का आयोजन करता रहता है। और इसी सन्दर्भ में मंथन ने अपनी सभी पर अभिभावक-शिक्षक बैठक का आयोजन किया जिसमें छात्रों के अभिभावकों ने बहुतायत में आकर बैठक को सार्थकता प्रदान कीI साथ ही अर्द्ध-वार्षिक परीक्षा परिणाम वितरण समारोह भी आयोजित किया गया जिसमें शिक्षकों ने अभिभावकों को उनके बच्चों के अर्द्ध-वार्षिक परिणाम वितरित करते हुए उनके शैक्षणिक प्रगति के बारे में चर्चा की।
अच्छे अंक प्राप्त करने वालों होनहार छात्रों को प्रोत्साहन हेतु इनाम भी दिए गयेI शिक्षकों ने अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए कुछ उपाए सुझाये जिससे वे बच्चों को घर में भी एक शिक्षा का वातावरण दे सके जैसे बच्चों को ख़ुद से बैठकर पढ़ने का समय देना, बच्चों को खेल के लिए पर्याप्त समय देना, बच्चों को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करना आदि। पढाई के साथ ही अभिभावकों को उनके सहयोग के क्षेत्रों जिनमें वे अपने बच्चों को प्रोत्साहन दे सकते हैं, जैसे स्वच्छता, अनुशासन, समय पाबंधी, नियमितता, आदि व्यवहारिक ज्ञान को बच्चों में कैसे रोपित किया जाये इसके लिए शिक्षकों ने अभिभावकों को कुछ युक्तियाँ सुझायीं। इसके लिए शिक्षकों ने एक रोचक गतिविधि भी आयोजित की जैसे जो माता-पिता समय पर आये उन्हें ईनाम दिया गया। इस प्रकार अभिभावकों ने समय की पाबंधता के महत्त्व को जाना। इसके साथ ही अभिभावकों को प्लास्टिक से होने वाले खतरे से अवगत कराया गया और उन्हें अन्य विकल्प जैसे कपडे, जूट आदि प्राकृतिक वस्तुओं के उपयोग के लिए प्रेरित किया गया।
अभिभावकों ने भी अपने कर्तव्यों को समझते हुए बच्चों के विकास में अपना पूर्ण योगदान देने हेतु दृढसंकल्प लियाI अंत में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी को नमन अर्पित करते हुए बैठक का समापन किया गयाI