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नूरमहल आश्रम में आयोजित मासिक भंडारे ने श्रद्धालुओं को नए उत्साह से भरते हुए सुविचारों से पोषित किया| इस कार्यक्रम में हर बार की ही तरह भारी संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी रही| सुमधुर भजनों व सत्संग कार्यक्रम ने अंतर्मन को भी साफ़ कर प्रभु से मिलन के लिए तैयार करने का शुभ सन्देश दिया| तो वहीं साध्वी फकीरा भारती जी, स्वामी ज्ञानेशानंद जी व स्वामी नरेन्द्रानंद जी ने विचारों द्वारा साधकों का मार्ग प्रशस्त किया| साधकों ने जाना कि भक्ति पथ पर चलते हुए मन को निरंतर स्वच्छ करने की कोशिशें बहुत जरुरी हैं| मन के शुभ व पवित्र भाव मंजिल तक पहुँचने में परम सहायक साबित होते हैं तो वहीं दूसरी ओर बुरे विचार एक पल में ही मंज़िल से कोसों दूर कर देते हैं| ऐसे अनेक उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं जब पवित्र विचारों व भावों ने दुर्जनों को भी सज्जन बना दिया और अपवित्र विचार व दुर्भावना ने सज्जनता से गिरा दिया| इसलिए इस दिव्य सफर में मंज़िल की ओर बढ़ते हुए मन के विचारों और भावों को साधना-सुमिरन, सेवा और सत्संग से परिष्कृत करते सतत चलते रहें| तब प्रभु से मिलन की घड़ियों का आनंद दुगना हो जाएगा| अंत में सामूहिक साधना द्वारा शुभ प्रेरणाओं को संप्रेषित किया गया| 

Praises of the Satguru Energize the Masses during Monthly Discourse at Nurmahal Ashram

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