संस्कारशाला, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के समग्र शिक्षा कार्यक्रम मंथन- सम्पूर्ण विकास केन्द्र द्वारा आयोजित एक वर्चुअल वर्कशॉप है जो 4 से 12 साल के बच्चों के लिए आयोजित की जाती है। अक्टूबर माह संस्कारशाला का विषय प्राकृतिक संस्कारशाला था।
प्रकृति के पास हमारे हर प्रश्न के उत्तर हैं। प्रकृति से हमे कई संसाधनो की प्राप्ति होती है। प्रकृति हमें सुंदरता, अच्छा स्वास्थ्य, ध्यान में एकाग्रता प्रदान करती है और सांसारिक तनाव से मुक्त भी करती हैl हम यह जानते हैं कि हमारे ग्रह के भविष्य को सुरक्षित रखने की सख्त जरूरत है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों के लिए पृथ्वी का संरक्षण करें और उन्हें अच्छी आदतों को डालने में मदद करें। अगर हम अपनी प्रकृति शोषण करेगें तो यह हमारे लिए अभिश्राप बन सकती हैं और यदि हम प्रकृति का संरक्षण करेगें, तो यह हमारे लिए वरदान बन जाएंगी।
इसी को ध्यान में रखते हुए अक्टूबर माह में कुल 39 प्राकृतिक संस्कारशालाओं का आयोजन किया गया जिसमें 2436 बच्चों ने भाग लिया।
यह कार्यशालाएँ राष्ट्रीय स्तर पर दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की विभिन्न शाखाओं के साथ-साथ अनेक स्कूलों में भी आयोजित की गईं, जैसे उत्तर प्रदेश, नोएडा के आदर्श पब्लिक स्कूल और कम्पोजीशन विद्यालय, महाराष्ट्र, अमरावती के स्वामी विवेकानंद विद्यालय, शांति निकेतन इंग्लिश मीडियम स्कूल और Z.P प्राथमिक कन्या स्कूल और सरायपाली, छत्तीसगढ़ के कॉन्वेंट पब्लिक स्कूल और रविशंकर इंग्लिश मीडियम स्कूल में आयोजित की गई।
संस्कारशालाओं आरम्भ ध्यान और श्लोक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रचारकों और मंथन- सम्पूर्ण विकास केन्द्र के कार्यकर्ताओं ने बच्चों को मानव जाति के लिए प्रकृति की भूमिका के बारे में बताया कि पृथ्वी की रक्षा और संरक्षण करना क्यों आवश्यक है। उन्होंने प्रस्तुतियों और गतिविधियों के साथ कार्यशालाओं को अत्यधिक परस्पर संवादात्मक और रुचिकर बना दिया, जिससे सभी बच्चे उत्साही रहे। बच्चों ने 'Use & Throw' की जगह ‘Use & Reuse' का महत्व सीखा। प्रचारकों ने पृथ्वी को बचाने के लिए हमारे द्वारा किए जाने वाले बाहरी कार्यों के साथ-साथ ध्यान के महत्व पर भी चर्चा की। अंत में, छात्रों ने हमारे गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के आशीर्वाद से हमारे ग्रह पृथ्वी को खुशहाल और समृद्ध बनाने के लिए एक पेड़ लगाने और सभी शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लिया।