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“राम” शब्द का वास्तविक अर्थ है दिव्य रूप से आनंदित है और जो दूसरों को आंनद प्रदान करने वाला है और जिससे ऋषि भी आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं। भगवान राम ने आदर्श व्यक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया, उन्होंने धरती पर दिव्यता को अवतरित किया और हमें सिखाया कि कैसे जीवन को धर्म और दिव्य सिद्धांतों के अनुसार जीना है। भगवान राम करुणा, नम्रता, दयालुता, पवित्रता और सत्यता के अवतार थे। यूँ तो उनके पास दुनिया की सारी शक्ति थी, फिर भी वह शांतिपूर्ण, सौम्य स्वभाव व आचरणवान थे। उनके जीवन को यदि ध्यानपूर्वक जांचे तो हम सीख सकते हैं कि कैसे एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति और आदर्श राजा बना जा सकता है। अयोध्या में उनके शासन को पूर्ण शासन के प्रतीक स्वरूप रामराज्य के रूप में जाना जाता है।

Rama as a Personification of Divinity and Idealism Explained at Shri Ram Katha, Ferozepur, Punjab

 श्री आशुतोष महाराज जी के तत्वाधान में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, पंजाब के फिरोजपुर में 12 से 16 जून 2018 तक श्री राम कथा का छ: दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। गुरुदेव की शिष्या प्रज्ञाचक्षु साध्वी शची भारती जी ने भगवान राम के सर्वोच्च दर्शन को समझाया और रामायण से बहुत से बहुमूल्य जीवन सूत्रों को भी प्रस्तुत किया।

साध्वी जी ने समझाया कि सतगुरु वह हैं जो आपको आत्मजागृति के दिव्य ज्ञान ‘ब्रह्मज्ञान’ से एक जीवात्मा को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। राम राज्य केवल ब्रह्मज्ञान के आधार पर ही स्थापित किया जा सकता है। यह दैवीय ज्ञान कोई भी मनुष्य केवल जागृत आध्यात्मिक गुरु की कृपा से ही पा सकता है। यह तकनीक श्री राम को उनके आध्यात्मिक सतगुरु महर्षि वशिष्ठ द्वारा प्रदान की गई थी। सतगुरु श्री आशुतोष महाराज जी ब्रह्मज्ञान द्वारा प्रत्येक आत्मा को श्री राम की प्राप्ति अंतर में ही करवा रहे हैं ताकि वह स्वयं को पवित्र कर आज भी ‘राम राज्य’ की स्थापना में योगदान दे सके। 

Rama as a Personification of Divinity and Idealism Explained at Shri Ram Katha, Ferozepur, Punjab

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान कई सामाजिक समस्याओं के लिए काम करता है, जिनमें से एक है अंतर्दृष्टि: जो कि नेत्रहीन व विकलांग वर्ग की सहायतार्थ चलाया जाने वाला प्रकल्प है, अंतर्दृष्टि ने इस अनूठी पहल के माध्यम से अलग-अलग तरीके से सेवा करके समाज में अच्छे परिणाम भी प्राप्त किए हैं। इस कार्यक्रम में नेत्रहीन भाई बहनों द्वारा बनाए गए विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी और स्टाल भी लगाए गए ताकि लोग अंतर्दृष्टि प्रकल्प से परिचित हों और शारीरिक अक्षमता के साथ तैयार किए गए सभी प्रकार के उत्पादों और कलाकृतियों के संपर्क में आ सकें। जब लोगों में ऐसी जागरूकता पैदा होगी तभी वह इन वस्तुओं को खरीदने और इन लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद कर सकते हैं। स्टाल लगाकर लोगों को करुणा, नम्रता, दयालुता, सौहाद्र और अखंडता को समझाने का भी प्रयास किया गया।

राम कथा को सुनने के लिए भक्त बड़ी संख्या में एकत्र हुए और उन्होंने संस्थान के अंतर्दृष्टि प्रकल्प में भी बढ़-चढ़कर सहयोग व योगदान किया।

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