दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा ठठल, जिला ऊना, हिमाचल प्रदेश में 24 से 28 दिसम्बर 2019 तक पाँच दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया गया। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक) की शिष्या कथा व्यास साध्वी रूपेश्वरी भारती जी ने प्रभु श्री राम के जीवन काल से वृत्तांतों को लेते हुए जीवन को धर्म और अध्यात्म के अनुकूल निर्वाह करने की प्रेरणा दी।
उन्होंने बताया कि ‘राम’ का शाब्दिक अर्थ होता है, जो परम आनंदित है और जो दूसरों को आनन्द देता है तथा जिसके ध्यान में ऋषि रमते (आनंदित होते) हैं। वह ईश्वरीय परम सत्ता भगवान श्री राम के रूप में इस धरा पर अवतरित हुई और समाज के सामने एक आदर्श चरित्र का उदाहरण रखा। भगवान श्री राम दया, करुणा, विनम्रता, धर्मनिष्ठता और सत्यनिष्ठता की प्रतिमूर्त थे। संपूर्ण विश्व में सर्व शक्तिशाली होते हुए भी उन्होंने सदैव शांति और विनम्रता का ही दामन थामा। मानव प्रकृति की पूर्णता को दर्शाता भगवान श्री राम का चरित्र मानवीय गुणों की प्रतिमा है। उन्हें आज भी धर्मावतार के रूप में पूजा जाता है।
साध्वी जी ने सद्गुरु की परिभाषा देते हुए समझाया कि पूर्ण सतगुरु वह होते हैं जो ब्रह्मज्ञान प्रदान कर अज्ञानता से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। वर्तमान काल में यदि राम राज्य की स्थापना हो सकती है तो उसका एक ही सूत्र है- ब्रह्मज्ञान। और यह ब्रह्मज्ञान एक ब्रह्मनिष्ठ गुरु ही प्रदान कर सकते हैं। यही ज्ञान प्रभु श्री राम को उनके गुरु महर्षि वशिष्ठ जी से प्राप्त हुआ था। आज यही ब्रह्मज्ञान गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी ईश्वर पिपासुओं को प्रदान कर रहे हैं। ताकि भक्तजन इस ब्रह्मज्ञान की अग्नि में स्वयं को कुंदन बनाकर ‘राम राज्य’ को साकार करने में अपना योगदान दे सकें।
हमारे वेदों और ग्रंथों में इस तथ्य को स्पष्टतः उजागर किया गया है कि आत्मा के साक्षात्कार के उपरांत ही जीवन में आध्यात्मिकता का आरंभ होता है। और यह साक्षात्कार केवल एक ब्रह्मनिष्ठ तत्ववेत्ता पूर्ण गुरु की कृपा से ही संभव है। उसके उपरांत गुरु आज्ञा को धारण कर जो शिष्य इस मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ता है उसका विवेक स्वतः ही जाग्रत होने लगता है। जिससे वह सत्य और असत्य में अंतर करने में सक्षम हो पाता है। साध्वी जी ने कथा में प्रभु श्री राम के कृत्यों में निहित आध्यात्मिक तथ्यों को सफलतापूर्वक प्रकट किया। भक्ति भाव से परिपूर्ण भजनों ने सम्पूर्ण वातावरण को दिव्यता प्रदान की।