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लिंग चयनात्मक गर्भपात व अन्य लिंग आधारित अपराध समाज की एक बहुत गंभीर समस्या बन चुके हैं। जनगणना 2011 के बाल लिंग अनुपात (0-6 वर्ष) के अनुसार, भारत में प्रति 1000 लड़कों पर कुल 919 लड़किया बची हैं, जबकि सन 2001 में प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 927 थी। चिंतित कर देने वाला यह अनुपात और कन्याओं की लगातार घटती संख्या कन्या भ्रूण ह्त्या की वृद्धि को दर्शाते हैं। हालांकि, कोई भी आंकड़ा लैंगिक परिप्रेक्ष्य में सामाजिक मानसिकता को नहीं बदल सका। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के सक्रिय लिंग समानता कार्यक्रम - संतुलन द्वारा लोगों को कन्याओं की महत्वता और अनुचित बाल लिंग अनुपात के प्रति जागरूक करने हेतु, देश भर में कई अभियान चलाएं जा रहे हैं। यह अभियान विशेष रूप से कारण संवेदनशील दिनों में आयोजित किये जाते हैं। इस वर्ष अन्तराष्ट्रीय कन्या दिवस- एक अन्तराष्ट्रीय अवलोकन, के उपलक्ष में संस्थान द्वारा कन्याओं की बिगड़ती स्थिति के पीछे छिपे कारण एवं परिणामों को उजागर करने हेतु एक जन जागरूकता अभियान आयोजित किया जा रहा है।

Santulan spotlights “Missing Girls” observing International Day of Girl Child 2019

पिछले अभियानों के गहन शोध के बाद यह पाया गया कि वर्तमान लिंग अनुपात की विषम स्थिति का ज़िम्मेदार कोई भी स्वयम को नहीं मानता। अपराध करने वाले डॉक्टर, कानूनों की कमी के लिए वकील को दोषी ठहराते हैं, और वकील कमजोर कानून प्रवर्तन के लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं। इस वर्ष सभी को एक छत्र के नीचे एकत्र कर संस्थान द्वारा “हमारी लुप्त बेटियाँ” नामक परामर्शी सम्मलेनो का आयोजन अखिल भारत में किया जा रहा है। सम्मलेन का आयोजन विविध क्षेत्रों से आए लोगों द्वारा कन्या भ्रूण हत्या के मुद्दों पर विचार विमर्श करने हेतु किया जा रहा है, जिससे  अंततः समाज में कन्याओं के महत्त्व को उजागर किया जा सके।

सम्मलेन में विभिन्न व्यवसाय के गणमान्य व्यक्तियों का एक पैनल शामिल होता है। चिकित्सा, वकालत, कानून प्रवर्तन (पुलिस), सामाजिक कल्याण और धार्मिक संस्था जैसे क्षेत्रों से आयें लोगों के पैनल के अतिरिक्त दर्शकों में सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, प्रोफेसर आदि मौजूद होते हैं। संतुलन स्वयमसेविकाओं द्वारा अतिथियों के संशिप्त परिचय व् दीप प्रज्ज्वलन के माध्यम से सभी का स्वागत किया जाता है, जिसके उपरान्त प्रत्येक पैनेलिस्ट आकर पूर्व-सूचित एजेंडे के संबंध में अपने विचारों को साँझा करता है। जिसमें लिंग-चयनात्मक गर्भपात, पुत्र-वरीयता सिंड्रोम और लिंग आधारित अपराध जैसे मुद्दे और उनके समाधान शामिल होते हैं। चर्चा का समापन करते हुए साध्वी शिष्याएं कन्याओं के महत्त्व से सभी को परिचित कराती हैं और बालिकाओं के प्रति समाज में फैली भ्रांतियों और मिथ्याओं को ध्वस्त करने हेतु आत्म जाग्रति के मार्ग से अवगत कराती हैं। इस सत्र के उपरांत हाल के वर्षों में तेज़ी से लुप्त होती कन्याओं की संख्या पर आधारित एक नाटिका प्रस्तुत की जाती है।

Santulan spotlights “Missing Girls” observing International Day of Girl Child 2019

इसके बाद संतुलन के लक्ष्य, अभियानों, लिंग आधारित पहलों, व् लाभार्थिओं को उजागर करती डोक्युमेनट्री प्रस्तूत की जाती है। और, अंत में नारी को शक्ति के अवतार में दिखाते हुए “तू है शक्ति” थीम पर एक नृत्य नाटिका प्रस्तुत की जाती है। संतुलन स्वयमसेविकाओं द्वारा पैनेलिस्ट और दर्शकों को संबोधित करते हुए आभार व्यक्त किया जाता है। महिलाओं की समाज में गंभीर अवस्था को दर्शाते आकड़ो के पोस्टरों के प्रदर्शन के साथ ज्ञानवर्धन प्रदर्शनी भी कार्यक्रम का भाग होती है। संतुलन महिलाओं को समग्र रूप से सशक्त बनाने व् समाज में लिंग संतुलन स्थापित करने हेतु असंख्य समूहों एवं संस्थानों के साथ मिलकर कार्यरत है।

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