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भारत की आजादी के 73 साल बाद भी, पूरा साल जब हम बलात्कार, अपहरण, रोड रेज, हत्या, छेड़छाड़ को देखते हैं, तो हम असंख्य सवालों और शंकाओं से भर जाते हैं कि क्या हम वास्तव में स्वतंत्र हैं या नहीं और यदि हां, तो क्या यह है इंडिपेंडेंस हम मांग रहे थे?

ये सवाल लंबे समय से हमारे सिर पर मंडरा रहे हैं, जिसे हम न व्यक्तिगत, सामाजिक या राष्ट्रीय स्तर पर संबोधित करना चाहते क्योंकि ये हमें परेशान करते हैं और आज़ादी के 73 साल बाद भी हमें अपनी असफलताओं की याद दिलाते हैं।

'Seek Freedom Holistically' - Bodh, DJJS echoed the mantra on 73rd Independence Day in 10 States
लेकिन यहाँ प्रश्न उठता है की क्या हमें स्वतन्त्रता दिवस का यह विशेष दिन मनाना बंद कर देना चाहिए जिसके लिए हमारे अपने लोगों ने सदियों से लड़ाई लड़ी और चेहरे पर मुस्कान के साथ अपनी जान दे दी ।
इसका सीधा सा जवाब है 'नहीं', क्योंकि हर देश में समस्याएं होती हैं लेकिन एक राष्ट्र जानता है या उसे उसकी समस्याओं से नहीं बल्कि उसके देशवासियों द्वारा सामने लाए गए समाधानों के द्वारा सफल माना जाता है। और इस तरह के समाधान को खोजने का पहला और आसान तरीका उन विकृतियों के मूल कारण का पता लगाना जो उन सभी संरचनाओं में गहराई से बनी रहती हैं जिन पर एक देश खड़ा होता है। 
और बाह्य रूप से कारण कई लग सकते हैं, लेकिन यह मानव मन है जो सभी समस्याओं का मूल कारण है। हमें आज़ादी तो मिली लेकिन इसे उसके समग्र तरीके से समझने मे चूक कर गए | बाहरी स्वतंत्रता आंतरिक स्वतंत्रता का प्रतिबिंब है।
आज हम शारीरिक रूप से स्वतंत्र हैं लेकिन हमारे मन अभी भी गुलाम है | यह मन लालच में, वासना में, स्वार्थ में, अभिमान का गुलाम है | इसलिए यह आंतरिक दासता बलात्कार, छेड़छाड़, असमानता, भ्रष्टाचार, नशा खोरी , तनाव, पर्यावरण असंतुलन आदि के रूप में परिलक्षित होती है।
और यदि हम वास्तव में समस्याओं को उखाड़ फेंकना चाहते हैं और राष्ट्र को ऊँचा उठाना चाहते हैं, तो हमें पहले निर्धारित मानव मन को ठीक करना होगा। उसे समाज की एक महत्वपूर्ण व जिम्मेदार कड़ी बन उसकी विचार प्रक्रियाओं के प्रति और समाज के प्रति उसकी जवाबदेही के बारे में जागरूक करना होगा।
और राष्ट्र की एक जवाबदेह इकाई के रूप में, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान, एक संगठन के रूप में, अपनी सामाजिक पहल 'बोध'- नशा उन्मूलन कार्यक्रम, के तहत अपना कर्तव्य निभाने का बीड़ा उठाया और अलग-अलग तबके, पृष्ठभूमि और भौगोलिक सेटिंग्स के लोगों तक पहुंचने की योजना बनाई।
इसके लिए, भारत के 10 से अधिक राज्यों में विभिन्न क्षेत्रों में विविध प्रकार के कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं जैसे की राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और उत्तराखंड।

इन कार्यक्रमों को देशभक्ति और आंतरिक स्वतंत्रता के संदेश को प्रसारित करने के लिए प्रश्नोत्तरी, प्रस्तुतियाँ, स्टेज थिएटर, कोरियोग्राफ़ी, थीम्ड बेली, रैलियाँ, स्कूल वर्कशॉप, शिक्षाप्रद डेस्क गतिविधियाँ, हस्ताक्षर अभियान आदि गतिविधियों के साथ बुना गया है।
प्रत्येक वर्ष इस तरह के कार्यक्रमों का ग्रामीण,अर्ध शहरी, शहरी और महानगरो में आयोजन करते हुए हम 60-70 हजार महिलाएं, युवा, बच्चे व पुरुषो तक अपनी गतिविधियों का लाभ पहुंचाते हैं |

हमारी चल रही गतिविधियों को देखने के लिए कृपया निम्न लिंक का प्रयोग करें :

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website:www.djjs.org/bodh

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