हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुंभ संतों के बीच होने वाला सर्वोच्च दिव्य अवसर है। चार स्थानों पर आयोजित होने वाले कुंभ मेले में प्रयागराज सबसे अधिक महत्व रखता है। इस समय ज्ञान का प्रतीक सूर्य दक्षिणायन पक्ष से उत्तरायण पक्ष में प्रवेश करता है। शास्त्रों के अनुसार, दिव्य नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम स्थल पर, भगवान ब्रह्मा जी ने अश्वमेध यज्ञ करते हुए, सम्पूर्ण ग्रहों का निर्माण किया था।
दिव्य युग की नई शुरुआत को चिह्नित करने के लिए, कुंभ मेला प्रयागराज में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के स्वयंसेवक अपना निःस्वार्थ योगदान दे रहे हैं। उन्हें सेवाओं के लिए धन का भुगतान नहीं किया जाता है, बल्कि सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की दिव्य कृपा की छत्रछाया में उत्साह व प्रसन्नता से पूरित हो, वे अपनी सेवाओं को स्वेच्छा से अर्पित कर रहे हैं।
सच्चे सैनानिओं के समान विपरीत मौसम में भी दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए भक्तों के लिए दिल से अपनी सर्वश्रेष्ठ सेवाएँ दे रहे हैं। धन्य हैं ऐसे सेवक जो इस भव्य आयोजन में अपना दिव्य योगदान प्रदान कर रहे हैं।
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