जो निष्ठापूर्वक एक सच्चे गुरु का अनुसरण करता है वह उनके जैसा बन जाता है, क्योंकि गुरु शिष्य को उसके स्तर से ऊपर बढ़ाने में सहयोग करते हैं।- परमहंस योगानंद
अध्यात्म पथ के अनुयायी के लिए; आत्म-सेवा और ध्यान, दिव्य गुरु के अनंत प्रेम का प्रवेश द्वार हैं। गुरु-शिष्य परम्परा इस सत्य को उजागर करती है कि एक शिष्य गुरु की कृपा के बिना आध्यात्मिकता के मार्ग पर नहीं चल सकता है; लेकिन गुरु की इस कृपा को पाने हेतु शिष्य को भी धैर्यपूर्वक निरंतर भक्ति और सेवा द्वारा इस कृपा को सहजने के लिए पात्रता का निर्माण करना होता है| पूर्ण आत्मसमर्पण ही आध्यात्मिक उत्थान का एकमात्र मार्ग है। निःस्वार्थ सेवा और ध्यान शिष्य में आत्मसमर्पण को जागृत करता है। एक सच्चा शिष्य समाज कल्याण हेतु स्वार्थ रहित सेवा करते हुए स्वयं की मुक्ति के लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है।
गुरु-शिष्य संबंध के बंधन को समृद्ध और दृढ़ करने के लिए, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा देश भर में स्थापित विभिन्न शाखाओं में मासिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है| इसी के अंतर्गत 20 मई 2018 को अमरावती, महाराष्ट्र में कार्यक्रम किया गया| परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा स्थापित दिव्य ज्योति जागृत संस्थान- आत्मिक स्तर पर जागृत वह दिव्य कुंड है, जहाँ प्रत्येक मानव वैदिक आध्यात्मिक विज्ञान- “ब्रह्मज्ञान” द्वारा निर्मल हो सत्य, ज्ञान व न्याय के पक्षधर के रूप में निर्मित हो सामाजिक बुराइयों का अंत करने में सक्षम होता है।
यह मासिक कार्यक्रम जहाँ एक ओर साधक के बिखरे विचारों व समस्याओं का समाधान करता है तो वहीँ दूसरी ओर मुरझाए हृदयों को पुनः ईश्वरीय प्रेम अमृत से सरस करता है| अमरावती में आयोजित इस कार्यक्रम में अनेक क्षेत्रीय लोगों ने उपस्थित हो भक्ति परिपूर्ण व प्रेरणादायक विचारों से लाभ प्राप्त किया| गुरु भक्ति से ओतप्रोत भक्ति संगीत ने साधकों के मन में साधकता की ज्योत को प्रज्वलित किया| संस्थान प्रचारकों ने सतगुरु सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा रूपी अपने दिव्य अनुभवों को साँझा किया| उन्होंने बताया कि सतगुरु अपने शिष्य की गलतियों व अपराधों को देखकर भी उसका त्याग नहीं करते अपितु उसके कल्याण हेतु प्रयासरत रहते है| गुरु अपने प्रेम के अधीन हो शिष्य को उसकी योग्यता से अधिक प्रदान करते है| गुरु वह शक्ति है जो सूक्ष्म रूप में हर क्षण उसका मार्गदर्शन करते है।
यह आयोजन साधक के जीवन में आत्मिक परिवर्तन और चिदानन्द रूपी उपहार प्रदत करने वाला रहा| कार्यक्रम के अंत में सभी शिष्यों ने सतगुरु के चरणों में नमन करते हुए जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना करने की नई प्रेरणा प्राप्त की।
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