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मां शक्ति का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु और माँ भगवती के दिव्य रंगों में जनमानस को भिगोने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 17 अप्रैल, 2022 को हरियाणा के रेवाड़ी क्षेत्र में 'शक्ति आराधन' कार्यक्रम आयोजित किया गया। श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की शिष्या साध्वी श्वेता भारती जी ने इस भक्ति संगीत कार्यक्रम की विशाल सभा के बीच दिव्यता के पवित्र मोती बिखेर दिए। 'माँ शक्ति' की महिमा का गुणगान करते हुए, साध्वी जी ने कहा कि 'माँ शक्ति' को सर्वोच्च ब्रह्मांड की शाश्वत शक्ति और भक्तों के लिए दिव्य माँ के रूप में स्वीकारा जाता है, जो उन्हें अज्ञान से दिव्य ज्ञान की ओर ले जाती है।

Shakti Aaradhan: The Spiritual Program Accentuated the Inner Power of Devotees at Rewari, Haryana

साध्वी जी ने अपने विचारों द्वारा हमारे आदिकालीन शास्त्रों में निहित कई सैद्धांतिक व्याख्याओं के माध्यम से 'माँ शक्ति' की आलौकिकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की शुरुआत 'मां शक्ति' के चरण कमलों में दिव्य प्रार्थना के साथ हुई। साध्वी जी ने समझाया कि चैत्र नवरात्रि का उत्सव हिंदू नववर्ष के पहले दिन से शुरू होता है, जो एक नई शुरुआत करने और पूरी सृष्टि में देवत्व को पहचानने का सही समय है।

साध्वी जी ने देवी दुर्गा के नौ रूपों के आध्यात्मिक महत्व को खूबसूरती से समझाया। उन्होंने 'देवी दुर्गा' और 'महिषासुर' की पौराणिक कथा प्रस्तुत करते हुए कहा कि मनुष्य के आंतरिक दिव्य गुणों पर कुप्रभाव डालने के लिए प्रत्येक हृदय में एक 'महिषासुर' यानि बुरी ऊर्जा मौजूद है। इसलिए, दुर्विकारों रूपी इस महिषासुर' के जाल से मुक्त होने के लिए प्रत्येक मानव को आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध होना और  'माँ शक्ति' की लीलाओं का वास्तविक अर्थ समझना आवश्यक हो जाता है। साध्वी जी ने टिप्पणी की कि 'माँ शक्ति' महिला सशक्तिकरण का भी प्रतिनिधित्व करती है क्योंकि वह परम शक्ति, दिव्य शक्ति के साथ साथ वास्तविक दैवी ऊर्जा का भी प्रतीक है।

Shakti Aaradhan: The Spiritual Program Accentuated the Inner Power of Devotees at Rewari, Haryana

अंत में, साध्वी जी ने सभा को सम्बोधित करते हुए धर्म के व्यावहारिक प्रयोग, यानि भीतरी आध्यात्मिक जागृति और आत्म-परिवर्तन पर ज़ोर दिया क्योंकि यह 'देवी शक्ति' की वास्तविक पूजा और पूर्ण भक्ति का प्रतीक है। 'देवी शक्ति' से गहराई से जुड़ने के लिए हमें 'ब्रह्मज्ञान' के माध्यम से आंतरिक संसार में झांककर आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध होना चाहिए। 'आत्म-साक्षात्कार' की गहन ध्यान साधना व आत्मनिरीक्षण ही एक भक्त को सर्वोच्च चेतना के करीब लाता है। इस भक्तिपूर्ण 'शक्ति आराधन' के कार्यक्रम ने दिव्य उमंग व भक्ति का संचार करते हुए सभी भक्तों को निहाल कर दिया। उपस्थित भक्तों ने कार्यक्रम के माध्यम से प्राप्त दिव्य प्रेरणाओं की हृदय से सराहना की।

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