Read in English

अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् । तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥

Shri Guru Purnima Mahotsav, 2022 at Divya Dham Ashram, Delhi Drenched all in the Divine Inspirations of Gurudev

मेरा उन श्री गुरु के चरणों में नमन है जिन्होंने उस सत्य को मेरे समक्ष प्रकट कर दिया जो अखंड, अनंत, कालातीत, संपूर्ण ब्रह्मांड- चल अथवा अचल  में व्याप्त है। -गुरु स्त्रोतम्

सौभाग्यशाली हैं जिन्हें ऐसे पूर्ण गुरु की संगति प्राप्त है जो उनके जीवन को प्रबुद्ध बनाने के साथ-साथ उसे उच्च लक्ष्य तक पहुँचाने का स्रोत भी प्रदान करते हैं। ऐसे दिव्य गुरुदेव का वंदन करने के महत्वपूर्ण दिवस- श्री गुरु पूर्णिमा, को मनाने के लिए भक्तजन 17 जुलाई 2022 को दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली में एकत्रित हुए। गुरुदेव के प्रति अपने प्रेम और कृतज्ञता को व्यक्त करने हेतु असंख्य श्रद्धालु आयोजित गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम में पहुँचे। श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के शिष्यों द्वारा प्रस्तुत भक्तिमय भावपूर्ण भजनों ने सभी हृदयों को भक्ति-रस से आप्लावित कर दिया। उपस्थित सभी श्रद्धालुओं ने गुरुदेव की मंगल आरती एवं पूजन में भाग लिया और गुरुदेव की दिव्य प्रेरणाओं में सराबोर होते नज़र आए। श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्यों साध्वी तपेश्वरी भारती जी, साध्वी परमा भारती जी, और स्वामी अदित्यानंद जी ने भावपूर्ण एवं प्रेरणादायक सत्संग प्रवचनों को साँझा किया।

Shri Guru Purnima Mahotsav, 2022 at Divya Dham Ashram, Delhi Drenched all in the Divine Inspirations of Gurudev

प्रवक्ताओं ने उपस्थित श्रद्धालुओं के समक्ष गुरु-शिष्य के अद्भुत, विश्वसनीय एवं निःस्वार्थ संबंध को उजागर किया। उन्होंने बताया कि जहाँ शिष्य स्वयं को गुरु चरणों में पूर्ण रूप से समर्पित कर देना चाहता है, वहीं गुरु भी अपना सम्पूर्ण आध्यात्मिक खज़ाना शिष्य को प्रदान कर देना चाहते हैं। गुरु-शिष्य के विशुद्ध संबंध की पराकाष्ठा को दर्शाते अनेकों उदाहरण, जैसे हनुमान और श्री राम, अर्जुन और श्री कृष्ण, विवेकानन्द और श्री रामकृष्ण परमहंस आदि संसार के समक्ष समय-समय पर उजागर होते रहे हैं। शास्त्रों से विभिन्न उदाहरणों को प्रस्तुत करते हुए प्रवचनकर्ताओं ने समझाया कि अध्यात्म के रत्नों को वही शिष्य प्राप्त करता है जो निरंतर गुरु आज्ञाओं में चलता है। शिष्य को मोक्ष प्राप्त कराने और ईश्वर तक पहुँचाने हेतु गुरु उसको आध्यात्मिक यात्रा में मार्गदर्शन एवं रक्षण प्रदान करते हैं। अतः शिष्य को चाहिये कि वह नियमित रूप से ध्यान-साधना का अभ्यास करे। ध्यान-साधना से होने वाले असंख्य आध्यात्मिक और व्यावहारिक लाभों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने समझाया कि ध्यान-अग्नि व्यक्ति के पूर्व संस्कारों और पाप कर्मों को जलाकर उसे मानसिक स्तर पर सुदृढ़ बनाती है। अतः अवसाद, चिंता, दुःख आदि मानसिक रोगों से मुक्ति प्रदान करती है। सांसारिक स्तर पर भी ध्यान से लाभ और मंगल प्राप्त होता है। अतः समय के पूर्ण गुरु श्री आशुतोष महाराज जी से ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने वाले सभी शिष्य अत्यंत सौभाग्यशाली हैं।

कार्यक्रम में भगवान श्री राम के भ्राता भरत जी के अनुकरणीय जीवन पर एक विशेष नाट्य प्रस्तुत किया गया। जिसमें मुख्यत: दर्शाया गया कि श्री राम के वनवास काल के समय भरत ने अयोध्या पर शासक के रूप में नहीं, बल्कि श्री राम के प्रतिनिधि के रूप में शासन किया। श्री राम की पादुकाओं को राज सिंहासन पर आरूढ़ कर, न तो कभी स्वयं सिंहासन पर बैठे और न ही कभी राज मुकुट पहना। उन्होंने शासन कार्यों को राजा बनकर नहीं अपितु संत बनकर पूर्ण किया। उन्होंने बिना किसी रक्त-पात के राजकोष में वृद्धि की और राज-सीमाओं को व्यापक एवं सुदृढ़ बनाया। वह राज्य की देखरेख के साथ नियमित रूप से ध्यान साधना में संलग्न रहे। अतः अध्यात्म की नवीन ऊंचाइयों को पाया। श्री राम के चौदह वर्षीय वनवास से लौटने पर भरत ने उनके चरणों में सम्पूर्ण राज्य के साथ-साथ राजकोष, भंडार, सेना इत्यादि का दस गुना वर्धन कर अर्पित किया।

वर्तमान समय के लिए सतगुरु श्री आशुतोष महाराज जी की उपस्थिति अत्यंत सौभाग्यशाली सिद्ध हुई है। क्योंकि निम्नता की ओर बढ़ते मानव के आध्यात्मिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अति-दुर्लभ ब्रह्मज्ञान के विज्ञान को आज जन-जन के लिए सहज ही उपलब्ध करवा दिया है। उनके वचन मात्र हृदयों को ज्ञान रूपी सुर-संगीत से भर देते हैं। श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य संकल्प- ‘ब्रह्मज्ञान से विश्व शांति’ की सिद्धि का साक्षी एक दिन भावी संसार अवश्य बनेगा। एक ऐसा समय जिसमें सभी सामाजिक बुराइयों और संकटों को जड़ से उखाड़ फेंका जाएगा।

गुरु भक्ति, दृढ़ संकल्प एवं उत्साह जैसे रत्नों को प्रदान करता श्री गुरु पूर्णिमा का दिवस भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ। दिव्यता से परिपूर्ण कार्यक्रम ने उपस्थित सभी भक्तजनों के हृदयों को गुरु प्रेम और भक्ति भावों से आप्लावित कर दिया।

Subscribe Newsletter

Subscribe below to receive our News & Events each month in your inbox