हर व्यक्ति को जीवन में सुख की अभिलाषा रहती है, और इसी अभिलाषा को पूर्ण करने हेतु वह नेत्र मूंदकर कर संसार में भौतिकवादी वस्तुओं का अधिक से अधिक उपयोग करता है। जब भी मानव अपनी इच्छाओं की पूर्ति में बाधाओं का सामना करता है, तो वह क्रोधित हो जाता है। परन्तु मानव को यह स्वीकार करना होगा कि भौतिकवादी वस्तुएं क्षणिक सुख देती है और उसके उपरांत मानव भयंकर कष्ट का अनुभव करता है। क्योंकि भोग की इच्छा और अधिक प्रबल होकर उसे इच्छाओं के दलदल में उलझा देती है। जीवन जीने का एक आदर्श मार्ग है कि हम पहले स्वयं का उत्थान करें तदुपरांत समाज स्वतः ही कल्याण की ओर अग्रसर हो जाएगा।
अमृतसर, पंजाब के लोगों को श्री कृष्ण के वास्तविक रूप से परिचित करवाने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 17 से 21 अगस्त, 2019 तक श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया। कथा में अनेक गणमान्य, प्रतिष्ठित व प्रबुद्ध अतिथि उपस्थित रहे- श्री गुरजीत सिंह औजला (एमपी ,ए एस आर), डॉ. राजकुमार वेरका (कैबिनेट रैंक, पंजाब सरकार), श्रीमती लक्ष्मी कांत चावला (एक्स-कैबिनेट मंत्री), श्री करमजीत सिंह मिंटू (मेयर, ए एस आर), श्री सुनील दुती (विधायक, उत्तरी ए एस आर), श्री रमन बख्शी (वरिष्ठ उप महापौर, ए एस आर), श्री दिनेश बस्सी (अध्यक्ष, सुधार ट्रस्ट ए एस आर), श्री राम गोपाल जी (क्षत्रिय प्रमुख, धर्म जागरण), श्री अक्षय जी (विभाग प्रचारक, ए एस आर) और श्रीमती ममता दत्ता जी (अध्यक्ष, खादी बोर्ड पी बी)।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सौम्या भारती जी ने श्री कृष्ण की दिव्य लीलाओं में निहित गहन संदेशों को रोचक ढ़ंग से भक्तों के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि हमें अपनी चेतना को आध्यात्मिक स्तर तक जागृत करने की आवश्यकता है। श्री कृष्ण पूर्ण सत्य हैं, वे ही ब्रह्मांडों के निर्माण, निर्वाह और विनाश आदि कारणों के प्रमुख कारण हैं। वह प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सभी अभिव्यक्तियों के प्रति सचेत है। श्री कृष्ण भौतिक संसार के भ्रामक निरूपणों से सदैव मुक्त हैं। एक व्यक्ति को भगवान के अवतार के उद्देश्य को समझना चाहिए और सच्चे ज्ञान और दिव्य आनंद की प्राप्ति हेतु भक्ति के मार्ग पर चलना चाहिए। श्री कृष्ण ने पांडवों को विवेक प्रदान किया जिसके माध्यम से वह विपरीत परिस्थितियों को पार कर गए।
श्री कृष्ण ने अर्जुन के जीवन में सतगुरु की भूमिका को निभाया। प्रत्येक क्षण चाहे कोई विपरीत परिस्थिति हो या युद्ध का मैदान, उनका मार्गदर्शन किया। आज हमारे समक्ष भी प्रत्येक दिन एक युद्ध क्षेत्र है और इस युद्ध को विजित करने हेतु हमें भी श्री कृष्ण रूपी सतगुरु की आवश्यकता है। साध्वी जी ने समझाया कि वास्तविक धर्म पवित्र प्रथाओं, पूजा रीतियों और पूजा स्थलों तक ही सीमित नहीं है। बल्कि ईश्वर- साक्षात्कार में निहित है, जो मात्र एक गुरु की कृपा से संभव है। सच्चे गुरु की सेवा और भक्ति से प्राप्त दिव्य ज्ञान ही संसार रूपी वृक्ष को काटने का मार्ग है।
गहन आध्यात्मिक तथ्यों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध और जागृत किया। कथा द्वारा प्रसारित दिव्य तरंगों ने सभी भक्तों को भगवान श्री कृष्ण की दिव्य कृपा और प्रेम से ओतप्रोत किया।