श्रीमद्भागवद्गीता में भगवान् श्री कृष्ण भगवान समझाते हैं कि जब योगी ध्यान में पूर्णता को प्राप्त करता है तब उसका मन, दीपक की लौ के समान स्थिर हो जाता है। प्रभु का उद्घोष है कि ब्रह्मज्ञान का शाश्वत ज्ञान सभी का अधिकार है, परन्तु इसकी प्राप्ति हेतु मानव को पूर्ण गुरु की शरणागति स्वीकार करनी होगी। 13 नवंबर से 17 नवंबर 2018 तक पांच दिवसीय श्रीकृष्ण कथा के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में इस पवित्र ज्ञान संदेश के अमृत को प्रवाहित किया गया। इस कथा का वाचन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी रुपेश्वरी भारती जी ने किया। कार्यक्रम भगवान कृष्ण की प्रार्थना से शुरू हुआ जिसके बाद दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रशिक्षित संगीतकार शिष्यों द्वारा सुन्दर भक्ति संगीत गायन ने विशाल सभा के हृदय को जीता। सभी उपस्थित लोगों ने प्रार्थनाओं में पूरी तरह से भाग लिया। साध्वी जी ने भगवान कृष्ण के बचपन के उपाख्यानों से कथा आरम्भ करते हुए गोपियों की भगवान के प्रति भक्ति पर भावपूर्ण विचारों को रखा।
साध्वी जी ने श्री कृष्ण लीलाओं का वर्णन करते हुए समझाया कि समय के पूर्ण गुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति से ईश्वर साक्षात्कार सम्भव है। सम्पूर्ण कथा में शामिल लोगों ने कार्यक्रम में प्रवाहित दिव्यता का अनुभव किया। प्रतिदिन प्रभु महिमा प्रसंगों ने लोगों के भीतर ईश्वर सम्बन्धी विषयों के प्रति जिज्ञासा को जागृत किया। अध्यात्म प्रेरित संगीत रचनाओं के प्रभाव से भक्तों ने स्वयं को प्रभु भक्ति से ओतप्रोत पाया।
ब्रह्मज्ञान वह तकनीक है जिसके माध्यम से एक साधक आध्यात्मिक गुरु द्वारा दिव्य दृष्टि को प्राप्त करता है। साध्वी जी ने ब्रह्मज्ञान की अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हुए समझाया कि इस दिव्य तकनीक के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व अपने स्रोत्र से परिचित होते हुए बंधुत्व व शांति की और बढ़ सकता है। वर्तमान समय के पूर्ण गुरु श्री आशुतोष महाराज जी आज समाज में इस दिव्य तकनीक को प्रदान कर रहे हैं।
महत्वपूर्ण उपाख्यानों और दिव्य संगीत के तालमेल ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। भक्त संगीतकारों ने अपने दिव्य संगीत के माध्यम से लोगों को अभिभूत किया। प्रत्येक दिन के साथ श्रोताओं की बढ़ती संख्या ने कार्यक्रम की सफलता को स्पष्ट किया।
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