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यह संसार बहुत ही विचित्र है जिसमें सबसे अधिक अजीब मनुष्य है जो आध्यात्मिक गतिशीलता की तुलना में परमाणु शक्ति की ओर अधिक उन्मुख हैं l  ये धार्मिक मान्यताओं के बजाय साक्ष्य एवं सिद्धांतो से सम्बन्धित हैं l उन्हें  विज्ञान और प्रौधोगिकी का ज्ञान है परन्तु धर्म में अनभिज्ञ है l समय के साथ एक महान परिवर्तन हुआ l  आधुनिक विचारधारा ने लोगों के जीवन को अत्यंत कष्ट से भर  दिया है l  बहुत कम लोग है जो प्राचीन धर्म ग्रंथो तथा महापुरुषों  पर विश्वास करते है l  उनकी धार्मिक सिद्धांतों को हम दाव पर लगा  रहे है आज मानव जाति इतिहास के एक नए मोड़ की तरफ अग्रसर हो रही  है और हमारे प्रयासों से ही यह निर्धारित होगा की क्या हम  विजयी होंगे या नहीं ?

Shri Krishna Katha Kindled Faith in Spirituality amongst the Masses in Pathankot, Punjab

श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पठानकोट, पंजाब में 19 से 23 अक्टूबर 2019 तक सात दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया l  इसका मुख्य उद्देश्य मानव जाति को आध्यात्मिक और धर्म के सटीक अर्थ के बारे में बताना है l  यह आध्यात्मिक मूल्यों, अखण्डता और समानता के बारे में उपदेश पर केंद्रित है l कथा का शुभारंभ भगवान श्री कृष्ण के कमल चरणों में प्रार्थना से हुआ और उसके बाद आदरणीय गुरुदेव के समर्पित शिष्यों द्वारा ईश्वर के चरणों में अपने भावो को अर्पित करते हुए भजन गाए गए l

कथा वाचिका साध्वी भाग्यश्री भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण के इतिहास से अनेक सार्थक किस्सों का वर्णन  किया और बताया कि वे एक आम आदमी के जीवन को कैसे प्रभावित करते है l उन्होने कौरवों और पांडवो के बीच पासा के खेल का अनुकरण किया और कैसे पांडवो ने अपनी पत्नी द्रोपदी के साथ इस विश्वासघाती खेल में अपनी सारी भौतिक सम्पति खो दी l भरी सभा के समक्ष द्रोपदी को अपमानित किया गया l  अपने सतीत्व कि रक्षा के लिए उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना की और भगवान श्री कृष्ण ने बिना विलम्भ के उनकी रक्षा की l एक शिष्य जो हमेशा अपने गुरु की प्रत्येक आज्ञा को शिरोधार्य करता है, उसे संकट के समय कभी अकेला नहीं छोड़ते l  उनके गुरु हमेशा उन्हे ढाल देते है उन्हें आगे की सभी बाधाओं से मुक्त  करते है l

Shri Krishna Katha Kindled Faith in Spirituality amongst the Masses in Pathankot, Punjab

साध्वी जी ने भगवान कृष्ण के जीवन से एक और मार्मिक उदाहरण दिया, जो एक गरीब ब्राह्मण थे l आज के विपरीत सुदामा की आर्थिक स्थिति का उनकी दोस्ती पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा l जब सुदामा सहायता के लिए गए तो उनका सम्मान और स्वागत बड़े ही श्रद्धा और विश्वास से किया गया और उन्हे बिना जानकारी के वैभव प्रदान कर सहायता की l  हमारे गुरु कभी भी अमीर या गरीब के बीच भेदभाव नहीं करते है l  उनके लिए सभी शिष्य समान होते है और वह सभी को समान रूप से प्रेम करते है l इस कार्यक्रम के माध्यम से लोगों ने अपनी खाई हुई आध्यात्मिकता को बनाए रखने की प्रतिज्ञा ली l

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