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श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान) की दिव्य कृपा से 12 से 16 अगस्त,  2022 तक त्रिकुटा नगर, जम्मू में पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया। कथा ने बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोताओं को आत्म-पोषक मधुर भक्ति गीतों और गूढ़ व्याखानों से मंत्रमुग्ध किया।

Shri Krishna Katha Revealed the Divine Technique to Connect with God at Trikuta Nagar, Jammu

कथाव्यास साध्वी जयंती भारती जी ने कहा कि आज हम मानव जाति के कल्याण के लिए अवतार लेने वाले भगवान के रूप में श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। लेकिन, क्या उस समय हर कोई पृथ्वी पर उनके दिव्य स्वरूप को जानता था? क्या श्री कृष्ण को देखने वालों ने उन्हें भगवान के रूप में स्वीकार किया? जवाब एक ही है- सभी लोगों ने ऐसा नहीं किया। उदाहरण के लिए श्री कृष्ण के मामा कंस को ही लें। कई अलौकिक संकेतों ने कंस को भगवान के दिव्य जन्म से अवगत कराया। परंतु, इसे आशीर्वाद व सौभाग्य के रूप में स्वीकार करने की बजाय, कंस ने उस अजय सत्ता को रोकने के लिए सब कुछ किया। कंस की अज्ञानता ने उसे अहंकारी बना दिया था, जिस कारण से वह भगवान श्रीकृष्ण के वास्तविक रूप को जान नहीं पाया।

साध्वी जी ने एक और उदाहरण दिया कि कैसे अज्ञानता के कारण दुर्योधन भी अपना कल्याण करने से चूक गया। दुर्योधन ने अहंकारवश पांडवों के साथ शांति नहीं बनाई। बल्कि उसने हर संभव अवसर पर उन्हें मारने का प्रयास किया। इस सबके बावजूद भी, जब भगवान श्री कृष्ण महाभारत के युद्ध को टालने के लिए शांति दूत के रूप में वहां गए, तो दुर्योधन ने उल्टा उन्हें ही कैद करने की कोशिश की।

Shri Krishna Katha Revealed the Divine Technique to Connect with God at Trikuta Nagar, Jammu

कंस और दुर्योधन दोनों ने श्री कृष्ण को देखा। वे दोनों उनकी दिव्यता के बारे में भी जानते थे, लेकिन उन्हें समझ नहीं पाए और इसलिए, उन्हें कभी स्वीकार नहीं किया। दूसरी ओर, अर्जुन, द्रौपदी, गोप-गोपियों व कई अन्य लोगों ने श्री कृष्ण की पूजा की। उन्होंने ऐसा क्यों किया? कारण यह है कि वे अज्ञानी नहीं बल्कि आत्मिक स्तर पर जागृत थे। वे ब्रह्मज्ञान के सर्वोच्च ज्ञान के माध्यम से परमात्मा से जुड़े थे।

साध्वी जी ने पूछा कि अगर आज भगवान श्रीकृष्ण फिर अवतार लेंगे, क्या हम उन्हें पहचान पाएंगे? हाँ, यह हम तभी कर सकते हैं, जब हमें एक सच्चे आध्यात्मिक सतगुरु की कृपा से ब्रह्मज्ञान के सर्वोच्च विज्ञान में दीक्षित किया गया हो। एक पूर्ण आध्यात्मिक गुरु ही हमें परमात्मा से जोड़ सकते हैं और हमारा मार्गदर्शन कर सकते हैं क्योंकि वे स्वयं उस शाश्वत आध्यात्मिक मार्ग पर चले हैं। सभी शास्त्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि सतगुरु के आशीर्वाद के बिना दिव्य ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं है और दिव्य ज्ञान के अभाव में हम आध्यात्मिक प्रगति नहीं कर सकते हैं और न ही दिव्य अवतार को समझ सकते हैं।

साध्वी जी ने सभी भगवतजिज्ञासुओं से पूर्ण गुरु से ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने का आग्रह करते हुए कथा का समापन किया। साथ ही दावा भी किया कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में सदैव पूर्ण सतगुरु की कसौटी को पूर्णता प्राप्त हुई है और होती रहेगी। 

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