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श्री कृष्ण कथा, भगवद्गीता सहित अनेक प्राचीन शास्त्रों में निहित भगवान श्री कृष्ण के आदर्शों  का प्रचार करने का सशक्त माध्यम है। भगवान श्री कृष्ण का घोषणा है कि “जब-जब भी धर्म की हानि होती है और दुष्टता प्रबल होने लगती है, धर्म की स्थापना के लिए व अधर्म को नष्ट करने के लिए, तब-तब मैं हर युग में स्वयं को प्रकट करता हूं।” इसी सत्य की गहनता से परिचित करवाने हेतु जालंधर, पंजाब में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 25 से 29 दिसंबर, 2019 तक श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया।

Shri Krishna Katha Urged to Realize Real Krishna Within at Jalandhar, Punjab

सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथाव्यास साध्वी त्रिपदा भारती जी ने श्री कृष्ण लीलाओं में निहित आध्यात्मिक तथ्यों को प्रगट करते हुए समझाया कि किस प्रकार आज भी वे मानव के लिए अत्याधिक उपयोगी व अनिवार्य है। जिस तरह उस युग में भगवान कृष्ण अपने भक्तों की रक्षा करते थे, उसी प्रकार वर्तमान में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी अपने भक्तों को ब्रह्मज्ञान प्रदान करते हुए, उन्हें सुरक्षित कर रहे हैं। ब्रह्मज्ञान की साधना द्वारा मानव क्रोध, अहंकार और नकारात्मकता जैसी भावनाओं से मुक्त हो पाता है, जिसने आज मानव को अपना बंधक बना लिया है।

ब्रह्मज्ञान हमें खुशी और दर्द, लाभ और हानि, जीत और हार जैसी हर परिस्थिति में संतुलित रहने की कला व समान रूप से व्यवहार करना सिखाता है। यह अद्वितीय उपकरण है जो संसार  के प्रति हमारा दृष्टिकोण बदलने में मदद करता है। इस आयोजन से शांति और दिव्यता की एक ऐसी आभा प्रगट हुई, जिससे सभी उपस्थित भक्तों ने अनुभव किया।

Shri Krishna Katha Urged to Realize Real Krishna Within at Jalandhar, Punjab

भगवान श्री कृष्ण की कथा आज के समकालीन युग का प्रतिबिंब है। भगवान कृष्ण के जीवन में घटित  हर घटना मानवता को भक्ति, धर्म और वास्तविक लक्ष्य के विषय में जागरूक करती है। मानव जाति को नैतिकता से परिपूर्ण जीवन जीना चाहिए और धर्म पर आधारित सुंदर समाज का गठन करना चाहिए। साध्वी जी ने बताया कि श्री कृष्ण का जन्म बंदीगृह में हुआ था और जन्म के साथ ही उनके जीवन में विपत्तियों का अंत नहीं हुआ, परन्तु श्री कृष्ण ने कभी भी उन परिस्थितियों से हार नहीं मानी। उन्होंने हर परिस्थिती में आनंद से जीवन व्यतीत किया व हमें भी परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देने की शिक्षा प्रदान की है। कथा में सार्थक भक्ति गीतों की सरस सरिता ने भक्तों के हृदय में ईश्वरीय प्रेम को जागृत किया। इस आयोजन का उद्देश्य प्रत्येक मानव को श्री कृष्ण की वास्तविक भक्ति से जोड़ना रहा। साध्वी जी द्वारा प्रदत्त विचारों व भजनों के सुगम संयोजन ने दर्शकों को बांधे रखा। प्रत्येक बीतते दिन के साथ उपस्थित लोगों की संख्या बढ़ती गई। कथा का समापन यज्ञ से हुआ। इस आयोजन द्वारा "ब्रह्मज्ञान" के संदेश को प्रसारित करने व लोगों को श्री कृष्ण की वास्तविकता को समझने का सफल प्रयास किया गया।

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