14 सितंबर से 20 सितंबर 2019 तक जनकपुरी, नई दिल्ली के चंचल पार्क में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा एक भव्य व विशाल सात दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया गया। कथा व्यास साध्वी दीपिका भारती जी ने श्री राम लीलाओं में निहित तथ्यों को वैज्ञानिक व तार्किक ढ़ंग से प्रस्तुत किया। संस्थान के प्रशिक्षित संगीतज्ञ संत समाज ने सरस भजनों के गायन से दिव्य तरंगों को प्रसारित किया। कथा की सफलता भारी संख्या में उपस्थित लोगों द्वारा चिन्हित हुई।
साध्वी जी ने रावण वध प्रसंग का वर्णन करते हुआ बताया कि श्री राम और रावण मात्र बाहरिय जगत के पात्र नहीं हैं अपितु श्री राम और रावण मानव के भीतर निहित विचारों, सद्गुणों, दुर्गुणों, आत्मिक बल व मन आदि के प्रतीक है। मानव के भीतर श्री राम के समान आत्मिक व सद्गुणों का वास भी है व साथ ही रावण के समान दुर्गुणों व विकारों का वास भी है। श्री राम वह आत्मिक सत्ता है जो सार्वभौमिक चेतना के साथ निरंतर संबंध बनाने में सक्षम है। दूसरी ओर, रावण उस विकारयुक्त मन का प्रतीक है जो मात्र वासनाओं में लिप्त रहता है। जिस प्रकार श्री राम के जीवन में एक सच्चे आध्यात्मिक गुरु ऋषि वशिष्ठ जी उनके प्रबुद्ध आध्यात्मिक गुरु थे। ऋषि वशिष्ठ ने श्री राम को ज्ञान प्रदान कर उन्हें आत्मिक रूप से जागृत किया व एक सशक्त मानव बनाया था। इस ज्ञान के निरंतर अभ्यास द्वारा श्री राम सार्वभौमिक ऊर्जा से सशक्त, उत्साहपूर्ण व धर्म स्थापित करने हेतु सक्षम थे। इसलिए श्री राम द्वारा रावण का विनाश सम्भव हो पाया। इसी प्रकार जिस समय मानव पूर्ण गुरु द्वारा ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) को प्राप्त करके आत्मिक रूप से जागृत हो जाता है, तब वह मन व दुर्गुणों रूपी रावण को समाप्त करने में सक्षम बन पाता है।
आज हम भी आंतरिक ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) प्राप्त कर व वास्तविक ध्यान साधना द्वारा लालच, वासना, घृणा, आदि जैसे राक्षसों को समाप्त कर सकते है लेकिन ऐसा करने के लिए हमें वास्तविक आध्यात्मिक यात्रा आरम्भ करनी होगी। पूर्ण सतगुरु ही हमारा मार्गदर्शन करते हुए हमें आध्यात्मिकता के शिखर पर पहुंचा सकते हैं। परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी ब्रह्मज्ञान प्रदाता पूर्ण गुरु हैं। आध्यात्मिक यात्रा हेतु ब्रह्मज्ञान एक महत्वपूर्ण व अनिवार्य कदम है। ब्रह्मज्ञान प्राप्ति हेतु संस्थान (डीजेजेएस) के द्वार सभी आध्यात्मिक साधकों के लिए सदैव खुले हैं।