Read in English

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 23 से 27 अप्रैल 2024 तक नकोदर, पंजाब में श्री राम कथा का भव्य आयोजन किया गया। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी रूपेश्वरी भारती जी कथा की मुख्य वक्ता थीं। कार्यक्रम का शुभारंभ श्लोकों के मधुर उच्चारण के साथ कर वातावरण को दिव्य बनाया गया। साध्वी जी ने प्रभु श्री राम को हार्दिक नमन करते देते हुए कथा की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम वह सर्वोच्च सत्ता हैं जो इस ब्रह्मांड के प्रत्येक कण में विद्यमान हैं। वह इस लोक के अधिपति हैं, सर्वज्ञ हैं, इसलिए उनसे मात्र लौकिक उपलब्धियों की मांग करना उचित नहीं है।

Shri Ram Katha at Nakodar, Punjab provided scientific explanation of Divine Knowledge

कथा व्यास जी ने भगवान श्री राम को पूर्ण मोक्ष का द्वार बतलाया, जिन्हें प्राप्त करके सभी अपराधों से मुक्ति मिल जाती है। संत कबीर को उद्धृत करते हुए उन्होंने श्री राम को चार विभिन्न पहलुओं में समझाया: पहले- राजा दशरथ के पुत्र के रूप में; दूसरे- जो सभी व्यक्तियों के हृदय में स्थायी रूप में विद्यमान हैं; तीसरे- सारे विश्व में व्यापत सर्वेश्वर शक्ति के रूप में और आखिरी- अधोपतन की गहराईयों से मुक्ति के किनारों तक ले जाने वाले समर्थ दिशानिर्देशक प्रकाश के रूप में।

हमारे शास्त्रों में यह बताया गया है कि दिव्यता का सार शब्दों से परे एकल नाम में स्थापित है। यह हमारे उन श्वासों में विद्यमान है जो हमें जीवित रखते हैं। यह बोध हमें बताता है कि प्रभु श्री राम हमारे लिए कोई बाह्य विचार नहीं है, अपितु यह तो वह सत्ता है, जो हमारे जन्म के क्षण से लेकर आखिरी श्वास तक हमारे भीतर विद्यमान है। अपने ध्यान को भीतर की ओर मोड़कर, हम ईश्वर के साथ अपने इस प्रगाढ़ संबंध की गहराई तक पहुंच सकते हैं। यह हमारे अस्तित्व की पवित्रता और आध्यात्मिक जागृति की क्षमता की याद दिलाता है जो हम में से प्रत्येक के भीतर निहित है। इसीलिए यह कहा जाता है कि अंतर्घट  में मौजूद यह वास्तविक नाम स्वयं श्री राम से भी बड़ा है।

Shri Ram Katha at Nakodar, Punjab provided scientific explanation of Divine Knowledge

ब्रह्मज्ञान की दीक्षा के दौरान एक पूर्ण गुरु द्वारा एक जिज्ञासु शिष्य को ईश्वर का नाम सुमिरन प्रदान किया जाता है। जब एक सद्गुरु अपने शिष्य को ब्रह्मज्ञान प्रदान करते हैं, तो शिष्य अनेकों दिव्य अनुभवों को देखता हैं, जो उसकी ध्यान साधना की आधारशिला बनते हैं।

वर्तमान युग में भी, ब्रह्मज्ञान को श्री आशुतोष महाराज जी जैसे एक पूर्ण गुरु की कृपा से प्राप्त किया जा सकता है। ब्रह्मज्ञान की ध्यान विधि द्वारा एक व्यक्ति अहंकार और अन्य बुराइयों से मुक्ति पाता है और ईश्वर प्रेम में रमता चला जाता है। इस समय में श्री महाराज जी द्वारा दीक्षित दुनिया भर में ऐसे लाखों भक्त हैं जो नि:स्वार्थ भाव से इस ब्रह्मज्ञान का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

कार्यक्रम में शामिल होने वाले कुछ विशेष अतिथियों ने संगठन की खूब सराहना की। उन्होंने कथा के आत्मिक प्रभाव एवं महानुभावता को अनुभव किया और श्री महाराज जी की कृपा प्राप्त करके कृतज्ञ हुए। उन्होंने डी.जे.जे.एस प्रतिनिधियों से भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने का अनुरोध किया और उनमें भाग लेने की इच्छा व्यक्त की।

Subscribe Newsletter

Subscribe below to receive our News & Events each month in your inbox