मानव जीवन का उद्देश्य स्वयं की आसुरी प्रवृत्तियों को कम करने के लिए होना चाहिए। भौतिकवादी संसार से प्रभावित होकर, हम भी भौतिकता को प्राप्त करने हेतु प्रयासरत रहते हैं, और यही प्रयास या भावना निरंतर दबाव और तनाव को बढ़ती है जिस कारण जीवन से आंतरिक शक्ति, मानसिक शांति और निर्णायक शक्ति कम होने लगती है। रामायण की गाथा हमें यही महत्वपूर्ण संदेश देती है कि आज हम जिस जीवन को जी रहे हैं, उसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं। जिस प्रकार भगवान श्री राम ने राक्षसों को समाप्त करने हेतु वन का मार्ग चुना था व अपने उद्देश्य को पूर्ण किया था, उसी प्रकार हमें भी आत्मिक आनंद की प्राप्ति हेतु आत्मिक स्तर की ओर बढ़ना होगा।
श्री राम अयोध्या के राजा बनने जा रहे थे परन्तु अगले ही पल पिता आज्ञा की पालना हेतु उन्होंने प्रसन्नता से चौदह वर्षों के लिए वन का मार्ग स्वीकार कर लिया। भगवान श्री राम का चरित्र इस घटना से महत्वपूर्ण शिक्षा देता है कि मानव को हर परिस्थिति में संतुलित व प्रसन्न रहना चाहिए, तभी वह महान लक्ष्य को सिद्ध कर सकता है।
जन मानस को आत्मिक स्तर पर जागरूक करने के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 12 से 16 जून 2019 तक समाना, पंजाब में पांच दिवसीय श्री राम कथा का कार्यक्रम आयोजित किया। कथा का वाचन साध्वी सुश्री शची भारती जी ने किया। आध्यात्मिक वक्ता के रूप में साध्वी जी ने सुंदर जीवन की परिकल्पना की साकार करने हेतु अनिवार्य पहलुओं पर प्रकाश डाला।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की दिव्य व अनुपम कृपा द्वारा श्री राम कथा के माध्यम से आत्मिक जाग्रति व वैश्विक शांति के संदेश को फैलाने हेतु कथा का आरम्भ मंगल कलश यात्रा से हुआ। संत समाज ने भगवान श्री राम के चरण कमलों में पवित्र प्रार्थना का गान किया। साध्वी जी ने समझाया कि धार्मिकता के मार्ग पर बढ़ते हुए भक्तों के समक्ष सदैव उपहास, विरोध और आलोचना रूपी विपरीत परिस्थितियाँ आती है, परन्तु सच्चे भक्त को मात्र श्री राम का स्मरण करते हुए मार्ग पर बढ़ते रहना चाहिए। भगवान श्री राम का जीवन स्वार्थ से ऊपर उठकर परमार्थ हेतु जीवन की शिक्षा देता है।
जब श्री राम चौदह वर्षों के वनवास के उपरांत अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने प्रसन्नता से दीपावली को मनाया। दिवाली का अर्थ मात्र बाहरी स्तर पर प्रकाश करना नही है अपितु वास्तविक दिवाली तब साकार होती है जब आंतरिक स्तर पर दिव्य प्रकाश प्रगट होता है।
संस्थान के सामाजिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों व निःस्वार्थ स्वयंसेवकों के प्रयासों द्वारा उपस्थित गणमान्य आतिथि व जनसमूह अभिभूत हो उठे। कथा द्वारा भक्तों ने आत्मा के उद्देश्य हेतु ब्रह्मज्ञान के संदेश को जाना व समझा। अनेक लोगों ने ब्रह्मज्ञान को प्राप्त किया व साथ ही संस्थान के सामाजिक कार्यक्रमों में सहयोग देने का प्रण भी किया।