संस्कृत में ‘राम’ शब्द का अर्थ है- विशुद्ध मन, धर्मावतार और अपने दिव्य रूप और गुणों से सभी को आकर्षित करने वाला। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने 10 सितंबर से 16 सितंबर 2018 तक उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में श्री राम कथा का सात दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया। पूज्य गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या व आध्यात्मिक वक्ता, साध्वी दीपिका भारती जी ने भगवान राम के सर्वोच्च दर्शन को समझाया और रामायण में छिपे बहुत से जीवन सम्बन्धित सूत्रों को सबके समक्ष प्रस्तुत किया।
रामायण कहती है कि श्री राम के शासनकाल को राम राज्य कहा जाता है। जहाँ हर जगह धार्मिकता और समृद्धि है। हर युग में भगवान स्वयं ही धार्मिकता और मोक्ष मार्ग पर बढ़ाने के लिए धरती पर अवतारित होते हैं। राम कथा के माध्यम से, उपस्थित लोगों ने अच्छे व्यवहार और संबंध बनाए रखने के महत्व को जाना, जो कि शांतिपूर्ण समाज का आधार है| श्री हनुमान और लक्ष्मण जी के जीवन से विभिन्न संदर्भों द्वारा लोगों को स्वयं, धर्म और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक भी किया गया।
साध्वी जी ने समझाया कि यदि कोई व्यक्ति आत्मा के उद्धार को प्राप्त करना चाहता है, तो उसे धर्म मार्ग का पालन करना चाहिए और ईश्वर के साथ संबंध स्थापित करना चाहिए। सतगुरु वह है जो आपको आत्म प्राप्ति के दिव्य ज्ञान को प्रदान कर सही रास्ते पर ले जाता है। राम राज्य केवल ब्रह्मज्ञान के आधार पर स्थापित किया जा सकता है। यह दिव्य ज्ञान केवल एक जागृत आध्यात्मिक गुरु की कृपा से ही कोई भी मानव प्राप्त कर सकता है। सतगुरु श्री आशुतोष महाराज जी ब्रह्मज्ञान से प्रत्येक आत्मा को लाभान्वित कर रहे हैं ताकि वह स्वयं को पवित्र कर आज भी ‘राम राज्य’ की स्थापना में अपना योगदान दे सके।
संपूर्ण मानव जाति ने श्री राम को गुणों के सम्राट के रूप में सम्मानित किया है। संक्षेप में, श्री राम का जीवन पवित्र अनुपालन, परम शुद्ध, अतुलनीय सादगी, प्रशंसनीय संतुष्टि, सराहनीय आत्म-बलिदान और उल्लेखनीय त्याग का जीवन है। स्वामी विवेकानंद के शब्दों में भगवान राम, “सत्य का अवतार, नैतिकता, आदर्श पुत्र, आदर्श पति और सब से बढ़कर एक आदर्श राजा हैं।”
अंतस में ही, श्रीराम और अयोध्या को स्थापित करने के लिए कथा एक खुला निमंत्रण थी ताकि राम राज्य एक बार फिर से धरती पर स्थापित हो सके। श्रोताओं को श्री राम कथा की शुद्ध और प्रेरणादायक आभा में सराबोर देखा गया।
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