Read in English

गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 24 से 28 अगस्त 2022 तक समाना, पंजाब में पाँच दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम संस्थान की पटियाला शाखा द्वारा आयोजित किया गया तथा यह कथा संस्थान के सामाजिक प्रकल्प “अंतर्दृष्टि” को समर्पित रही। अन्तर्दृष्टि – नेत्रहीन एवं दिव्यांग बंधुजनों को आंतरिक जागृति के माध्यम से सशक्त बनाकर, उन्हें मुख्यधारा में स्वीकृति व अवसर उपलब्ध कराने हेतु संस्थान द्वारा चलाया गया एक महत्वपूर्ण प्रकल्प है। श्रद्धालुओं को शाश्वत ज्ञान से परिचित करवाने हेतु गुरुदेव की शिष्या कथाव्यास साध्वी शची भारती जी ने प्रभु श्री राम के व्यक्तित्व व ज्ञान के दिव्य स्रोत पर उत्कृष्ट विवरण प्रस्तुत किया।

Shri Ram Katha Highlighted God Realization in Samana, Punjab

साध्वी जी ने समझाया कि प्रभु श्री राम व उनके गुण अनंत हैं और उनकी लीलाओं का विस्तार भी असीमित है। सदाचार व सद्गुणों की प्रतिमूर्त श्री राम का मूल्यों और नैतिकता के प्रति विशेष सम्मान रहा। साध्वी जी ने बताया कि प्रभु श्री राम ने सत्य पथ का अनुसरण किया और अपने भक्तों को भी इसी पथ पर बढ़ने के लिए प्रेरित किया। श्री राम के अनुसार संसार में सबसे महत्वपूर्ण है- धर्म, क्योंकि धर्म ही सत्य को स्थापित करता है।

साध्वी जी ने समझाया कि शाश्वत ज्ञान ही प्रत्येक मनुष्य को जीवन के एकमात्र उद्देश्य तक पहुंचाता है। शाश्वत का अर्थ है “वह जो आदि व अंत के बिना है” यानि “सनातन है” अर्थात वह ब्रह्मज्ञान जो सनातन विद्या है उसे प्राप्त करके ही मनुष्य अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। ब्रह्मज्ञान ही मुक्ति का द्वार है। साध्वी जी ने समझाया कि ब्रह्मज्ञान द्वारा ईश्वर की अनुभूति करना अत्यंत आवश्यक है। परमात्मा के साथ चिरस्थायी संबंध स्थापित करने के लिए पहले उसे देखना या मिलना बहुत जरूरी है। ईश्वर को पूर्ण गुरु द्वारा प्रदत्त ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ही देखा व जाना जा सकता है।

Shri Ram Katha Highlighted God Realization in Samana, Punjab

साध्वी जी ने कहा कि भगवान राम जैसे पूर्ण सतगुरु ही हमें ब्रह्मज्ञान प्रदान कर सत्य पथ पर हमारे साथ चलते हुए हमारा मार्गदर्शन कर सकते हैं। कोई दशानन रावण के समान बुद्धिजीवी क्यों न हो जाए, परंतु सतगुरु की शरण में आए बिना, वह अज्ञानता व अहंकार का शिकार बन जाता है और अपना कल्याण नहीं कर पाता। कोई विद्या, कोई भी वरदान रावण को बचा नहीं पाया। अंततः सत्य की विजय व अधर्म, अन्याय, छल, असत्य, और अहं की पराजय निश्चित है। ज्ञानपूर्ण व्याख्यानों ने उपस्थित श्रोताओं को पाँच दिवसों के लिए कार्यक्रम के साथ बांधे रखा। भावपूर्ण भजनों ने सभी के हृदयों को मंत्र-मुग्ध किया। उपस्थित गणमान्य अतिथियों व श्रद्धालुओं ने संस्थान के निःस्वार्थ व धार्मिक प्रयासों को सराहा।

Subscribe Newsletter

Subscribe below to receive our News & Events each month in your inbox