हिमाचल प्रदेश, कांगड़ा की भूमि उस समय धन्य हो उठी जब दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने श्री राम कथा द्वारा अपने आत्मिक उत्थान और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जनता को जागृत किया। परम पूज्य श्री आशुतोष महाराज जी की दिव्य कृपा से श्री राम कथा का शुभारंभ मंगल कलश यात्रा के साथ वैश्विक शांति का दिव्य संदेश फैलाने के लिए हुआ। कथा 30 मई से शुरू हुई और 3 जून 2018 को समाप्त हुई। कार्यक्रम समाज सुधार के लिए निःस्वार्थ सेवा का एक आदर्श उदाहरण था।
साध्वी गरिमा भारती जी द्वारा श्री राम कथा का सुन्दर वाचन किया गया। उन्होंने श्री राम जी के आगमन से पहले और कलियुग में समाज की स्थिति की तुलना की जिसमें ज़्यादा अंतर नहीं था। उन्होंने उल्लेख किया कि युग पुरुष हमेशा दिव्य ज्ञान प्रसारित करने के उद्देश्य से आते हैं जो आध्यात्मिक जागरूकता की ओर ले जाता है। श्री राम ने पारिवारिक संबंधों को बखूबी निभाने का अनूठा आदर्श चित्रित किया। उन्होंने न केवल अपने परिवार के लिए बल्कि समाज के लिए भी अपना समस्त जीवन अर्पित कर दिया। आज मनुष्य स्वार्थी बन गया है जो हर प्रकार के विनाश का मुख्य कारण है। श्री राम ने इच्छाओं को त्याग कर समाज की सेवा कैसे की जाए इसे पूर्ण रूप से अपने चरित्र द्वारा चित्रित कर दिखाया।
रामचरितमानस भक्त बनने और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए एक आदर्श दिशानिर्देश है। भक्त बनने के लिए पहली आवश्यक व प्रारंभिक शर्त है कि श्री राम जैसे पूर्ण सतगुरु के पवित्र चरणों में अपने अहंकार को समर्पित कर उनसे दिव्य ज्ञान की मांग करें। उनकी दिव्य कृपा से कोई भी ईश्वर के सम्पूर्ण ऐश्वर्य को अपने भीतर देख सकता है और अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर सकता है। भरत, लक्षमण, माता जानकी और श्री हनुमान आदि भक्त चरित्र हर मनुष्य को स्वयं को जानने के लिए प्रेरित करते हैं। रामायण से प्राप्त होने वाली सबसे बड़ी शिक्षा एकता की शक्ति है। श्री राम द्वारा निर्देशित वानर सेना ने न केवल लंका पहुंचने के लिए राम सेतु निर्मित किया बल्कि रावण की विशाल 'राक्षसी सेना' को भी हरा दिया। यह एक वीरता पूर्ण उदाहरण स्थापित करता है कि यदि हम सभी अपनी क्षमताओं को इकट्ठा करते हैं और शांतिपूर्ण विश्व के निर्माण हेतु जब युग पुरुष के मार्गदर्शन में बढ़ते हैं तो निश्चय ही हम भी अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त कर सकते हैं।
निःस्वार्थ स्वयंसेवकों के प्रयासों से जनता प्रभावित हुई और ब्रह्मज्ञान के संदेश को सभी ने भलीभांति समझा। लोगों ने संस्थान और उसके अंतगर्त चलाए जा रहे सभी सामाजिक प्रकल्पों के बारे में जाना। कार्यक्रम बहुत बड़ी सफलता का प्रतीक रहा क्योंकि बहुत से लोगों ने आत्मजागृति के शाश्वत ज्ञान- ‘ब्रह्मज्ञान’ को पाया और संस्थान के सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर कर सहयोग करने व भाग लेने का दावा भी किया।