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शाश्वत तत्व एवं  दिव्य शक्ति के आनंद में मन को सराबोर करने हेतु श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा उत्तर प्रदेश, मुज़फ्फरनगर में 21 मई से 27 मई 2019 तक सात दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया गया l

Shri Ram Katha Re-Established Divine Bond between Man and Almighty at Muzaffarnagar, UP

वर्त्तमान प्रोधोगिकी के इस युग में, हम मनुष्य अक्सर यह चयन करने में विफल रहते की हमारे लिए क्या उचित है इसके अतिरिक्त  हमारा अज्ञानी  मन हमे मानव ( ईश्वर की सर्वोच्च रचना ) के रूप में जन्म लेने के उद्देश्य को समझने में बाधा उत्पन करता है l आखिरकर यह हमारे मन को खोखला  बना देता है l ऐसे परिदृश्य में श्री राम कथा जैसे कार्यक्रमो के माध्यमों से लोगो को भक्ति के वास्तविक स्वरूप को जानने के लिए प्रेरित किया जाता है तथा यह जागरूकता लाई जाती है की विश्व में शांति की स्थापना तभी हो सकती है जब प्रत्येक मानव आंतरिक शांति को प्राप्त करे l आंतरिक शांति तभी मिलेगी जब लोगो का मन बदल जायेगा और यह तभी संभव है जब व्यक्ति उस परम सत्ता (ईश्वर) से जुड़ जाएगा l

कथा वाचक साध्वी सौम्या भारती जी ने भगवान राम जी की लीलाओं को उनके जीवन के असंख्य उदाहरणों  के साथ समझाया l  सत्य की पुनः स्थापना के उद्देश्य से भगवान श्री राम का पृथ्वी पर आगमन हुआ l  वह धार्मिकता के परम अवतार थे l  उन्होने अयोध्या में अपने शासन काल के समय में बार बार परिस्थितियों द्वारा लिए गए कठोर परीक्षणों के दौरान समभाव, शांति, और सत्यता की स्थापना की l साध्वी जी ने आगे रामायण में छिपे दिव्य ज्ञान को समझाया जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन को परिवर्तित कर सकता है l  माधुर्य और भावपूर्ण भजनो ने श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिया l उन्होने दिव्य ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला जो एक आध्यात्मिक यात्रा की शुरुवात को चिन्हित करता है और मात्र एक पूर्ण आध्यात्मिक गुरु हमे दिव्य ज्ञान के साथ प्रबुद्ध कर सकते है जो हमारी मृत्यु और जन्म के चक्र को तोड़ने तथा मोक्ष प्राप्त करने में हमारी मदद करेगा l

Shri Ram Katha Re-Established Divine Bond between Man and Almighty at Muzaffarnagar, UP

कार्यक्रम में आए भक्त इस  तथ्य को जानकर मंत्रमुग्ध और अभिभूत थे की आत्मा - जागरण  के माध्यम से ईश्वर को देखा जा सकता है l इसी आत्म जाग्रति को आज के पूर्ण गुरु श्री आशुतोष महाराज जी ने "ब्रह्म - ज्ञान " के रूप, में प्रदान किया है l  स्वयं के साक्षात्कार करने से , भौतिकवादी और आध्यात्मिक लक्ष्यों को संतुलित किया जा सकता है, जिससे जीवन और शांतिपूर्ण ढंग से जीया जा सकता है

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