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पंजाब, लुधियाना शाखा द्वारा शर्मा धर्मशाला, सलेम तबरी में 17 से 21 अगस्त तक श्री राम कथा का आयोजन किया गया| कथा का वाचन मानस मर्मज्ञा साध्वी गरिमा भारती जी द्वारा किया गया| श्रीराम के आदर्श जीवन की विवेचना करते हुए साध्वी जी ने प्रत्येक मनुष्य के लिए मर्यादित जीवन और आदर्शों को आवश्यक सिद्ध किया| उन्होंने कहा कि ‘मर्यादाहीन व्यक्तित्व- किनारे तोड़कर बहने वाली उस नदी की तरह है जो कभी सागर को नहीं पा सकती| आत्मसंयम का मार्ग ही मनुष्य के पथभ्रमित कदमों को सही दिशा दिखा सकता है| पूर्ण गुरु द्वारा आत्मिक स्तर पर जाग कर ही संयम को धारण किया जा सकता है| गुरु वशिष्ठ ने गुरुकुल में श्रीराम को भी आदर्शों की कोरी शिक्षा ही नहीं बल्कि दीक्षा प्रदान की थी| यानि कि आत्मा के स्तर पर उन्हें जाग्रत किया था| आज के मर्यादाहीन समाज को आदर्श समाज में बदलने के लिए भी ब्रह्मज्ञान की दीक्षा की ही आवश्यकता है| साध्वी जी के विचारों से समूचे लोग प्रभावित नजर आए|

Shri Ram Katha, Re-Establishing Ram at Innate Conscious Level in Ludhiana, Punjab

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