हम अपने जीवन में किसी न किसी मोड़ पर घटे चमत्कार के साक्षी अवश्य होंगे। रामायण में हनुमान लंका से वापस आए और अशोक वाटिका में देवी सीता की मौजूदगी का आश्वासन भगवान राम को दिया। फिर भगवान राम ने तीन दिनों और तीन रातों के लिए निरंतर ध्यान के माध्यम से सागर भगवान से अनुरोध किया कि वे उन्हें और वानर सेना को मार्ग प्रदान करें ताकि लंका पहुंचकर देवी सीता को मुक्त किया जा सके। सागर देव ने भगवान राम के सामने प्रकट हो सुझाव दिया कि वह और वानर सेना भगवान राम के नाम के लिखे पत्थरों को सागर पर डाले वह। इस तरह वह लंका तक एक पुल बनाने और अपना काम पूरा करने में सक्षम होंगे। तब भगवान राम ने सभी से ऐसा करने का अनुरोध किया। यद्यपि भगवान राम के अनुरोध पर सभी ने पत्थरों को इकट्ठा करना शुरू किया लेकिन सभी में संदेह की लहर बनी रही और लक्ष्मण ने भगवान राम को इन सभी संदेहों से अवगत करवाया। लक्ष्मण ने भगवान राम के समक्ष इसी तथ्य को रखते हुए कहा कि यदि पत्थर डूब गए और वे सभी गहरे महासागर में डूब गए तो। इसके लिए भगवान राम ने कहा कि चमत्कार होते हैं लेकिन उसके लिए आंतरिक आस्था की अनिवार्यता है। आंतरिक दृढ़ विश्वास के साथ ही दुनिया में किसी भी प्रकार की सफलता प्राप्त की जा सकती है।
रामायण में यह वर्णित है कि भगवान राम के नाम लिखा हर पत्थर महासागर की सतह पर तैरता रहा और वानर सेना ने लंका पहुंचकर राक्षसराज रावण को मार डाला। यह कथा आज की पीढ़ी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 10 जून से 16 जून 2018 तक साध्वी दीपिका भारती जी ने दिलशाद गार्डन, नई दिल्ली के भक्तों के समक्ष रामायण के भावपूर्ण वर्णन को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया। साध्वी जी ने कहा कि भगवान राम अपने परम सतगुरु ऋषि वशिष्ठ द्वारा ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ईश्वरीय अनुभव प्राप्त करने के प्राचीन विज्ञान में दीक्षित ब्रह्मज्ञानी थे। भगवान राम ने गहन ध्यान की अवस्था में प्रवेश किया और सार्वभौमिक चेतना से जुड़कर आखिर में समस्या का समाधान किया। उनका विश्वास मनगढंत नहीं था बल्कि प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित था।
आज की पीढ़ी भी सोचती है कि जो कुछ इतिहास में नहीं हुआ है वह कभी भी हो नहीं सकता लेकिन सत्य यह नहीं है। इतिहास में प्रबुद्ध जनों ने यह बार-बार साबित किया है कि आंतरिक ज्ञान से उत्पन्न दृढ़ विश्वास किसी भी असंभव को संभव में घटित कर देता है। एक व्यक्ति को एक सच्चे गुरु की आवश्यकता होती है जिसने स्वयं ईश्वर को अपने भीतर देखा है और आध्यात्मिक जागृति के मार्ग पर व्यक्ति को भी प्रशस्त कर सकता है। इसके बाद हम लक्ष्मण के समान संदेहों से छुटकारा पा सकते हैं। परम पूज्य श्री आशुतोष महाराज जी वर्तमान युग के ऐसे ही एक सच्चे गुरु हैं और उनकी कृपा के साथ आध्यात्मिक यात्रा के लिए सभी का स्वागत है।
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