प्रतिष्ठित आध्यात्मिक 'श्रीमद्भागवत महापुराण' ग्रंथ के आध्यात्मिक मोतियों को समझाने एवं प्रसारित करने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 12 से 18 सितंबर, 2022 तक सेक्टर 16, रोहिणी, दिल्ली में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक व संचालक, डीजेजेएस) की शिष्या साध्वी आस्था भारती जी द्वारा भागवत कथा की दिव्य गाथा एवं उसमें दर्ज़ दिव्य अनुकरणीय सिद्धांतों को खूबसूरती से व्यक्त किया गया। पवित्र आयोजन का शुभारंभ करने के लिए 11 सितंबर, 2022 को कलश यात्रा भी निकाली गई। कलश यात्रा का उद्देश्य विश्व शांति और आंतरिक जागृति की दिव्य आनंदमयी तरंगों को फैलाना रहा।
कथाव्यास जी ने ईश्वर की शाश्वत दिव्य लीलाओं में अंतर्निहित गूढ़ आध्यात्मिक संदेशों व तथ्यों को बड़ी खूबसूरती से डिकोड किया। उन्होनें बताया कि श्री कृष्ण ने 'ब्रह्मज्ञान' के सदियों पुराने वैदिक विज्ञान को ही प्रतिपादित किया था। भगवान ने स्वयं महाभारत युद्ध के दौरान व्यथित और निराश अर्जुन को शाश्वत ज्ञान से धर्म के लिए प्रशस्त किया था। 'ब्रह्मज्ञान' का यह उत्कृष्ट ज्ञान भगवान द्वारा उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों को प्रदान किया गया। आगे यह रेखांकित करते हुए कि कैसे भक्त प्रह्लाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यप द्वारा दी गई विभिन्न प्रकार की यातनाओं को धैर्यपूर्वक सहन किया, इस बात पर प्रकाश डाला गया कि हमें भगवान के प्रति शाश्वत भक्ति भी विकसित करनी चाहिए और उस समय के महान आध्यात्मिक पूर्ण सतगुरु की शरण लेनी चाहिए। यदि भक्त धैर्य और गुरु पर दृढ़ विश्वास रखता है तो ईश्वरीय ज्ञान की शक्ति कठिन से कठिन समय में भी भक्त की रक्षा करती है।
साध्वी जी ने कथा के अंत में बताया कि भगवान कृष्ण ने यह प्रमाणित किया कि 'दिव्य दृष्टि' के खुलने पर ही आत्म-साक्षात्कार व अन्य आंतरिक दिव्य अनुभूतियाँ संभव है। इसलिए, जो ऐसा आध्यात्मिक मोक्ष प्रदान करता है वह पूजा के योग्य है। हमें भी भगवान तक पहुंचने की दिव्य तकनीक से धन्य होने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। और यह वास्तव में केवल उस समय के पूर्ण सतगुरु की असीम कृपा से ही संभव है। 'ब्रह्मज्ञान' के माध्यम से, कोई भी व्यक्ति उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के साथ एक वास्तविक संबंध स्थापित कर सकता है और अपने व्यक्तित्व के नैतिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक भाग को ऊंचा उठा सकता है। आध्यात्मिक ज्ञान हमारे सभी व्यसनों और दुविधाओं को दूर करता है और हमें दिव्यता और शांति की स्थिति प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से सफलतापूर्वक सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया गया और आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के भीतर दिव्यता को जगाया भी गया। भक्तों ने कथा के माध्यम से प्राप्त नैतिक, आध्यात्मिक शिक्षाएं एवं उनके पीछे छिपे दिव्य आध्यात्मिक सार की खूब सराहना की।