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जीवन की भागदौड़ में आज मनुष्य इतना व्यस्त हो चुका है कि उसके पास शांत मन से आत्म-मंथन का भी समय शेष नहीं है। आज चाहे नौकरी पेशा, व्यवसायी अथवा गृहणी हो,  सभी अपने कार्यों में अत्यंत संलग्न है।  परिणाम स्वरुप आज मनुष्य अहंकार, क्रोध, अवसाद,लालच, ईर्ष्या जैसी विकृतियों से ग्रसित है। एक संगठन के रूप में, डीजेजेएस न केवल हमारे भीतर की इन विकृतियों को समाप्त करने के लिए कार्यशील है, अपितु इन विकृतियों से उत्पन्न, कई सामजिक कुरीतियों एवं अन्य मुद्दों को भी जड़ से समाप्त करने के लिए प्रयत्नशील है। 

Shrimad Bhagwat Katha Advocated Liberation of Soul to Attain Spirituality at Solan, Himachal Pradesh

आध्यात्मिक कथा एक ऐसा माध्यम है जो आध्यात्मिक एवं सामाजिक ताने-बाने को बहुत ही खूबसूरती से बुनता है। यह जन-मानस को जाग्रत कर ईश्वर से जोड़ने का कार्य करता है। जन-मानस में आध्यात्म की अलख जगाने के इसी पावन उद्देश्य के साथ, गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में हिमचाल प्रदेश के सोलन जिले में दिनांक 1 नवंबर से 7 नवंबर 2019 तक सात-दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया गया।

कथा व्यास- साध्वी भद्रा भारती जी ने, कई दृष्टांतों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं एवं उनमें निहित आध्यात्मिक और गूढ़ रहस्यों से जन-मानस को अवगत कराया। उनकी प्रत्येक लीला, एवं उनमें छिपे सन्देश आज भी समान महत्त्व रखते हैं। मधुर भजन-संगीत से सुरबद्ध इस कार्यक्रम का सभी ने खूब आनंद उठाया।

Shrimad Bhagwat Katha Advocated Liberation of Soul to Attain Spirituality at Solan, Himachal Pradesh

साध्वी जी ने समझाया कि ब्रह्मज्ञान द्वारा ही प्रभु के वास्तविक रूप का दर्शन किया जा सकता है। ब्रह्मज्ञान द्वारा ही मनुष्य आत्म जाग्रति की ओर उन्मुख होता है। ध्यान साधना की गहराइयों में उतरने से उसके भीतर की सभी सुप्त शक्तियां, जिससे मनुष्य स्वयं ही अनभिज्ञ है, जाग्रत हो जाती है एवं उसके भीतर वास्तविक एवं स्थायी परिवर्तन होता है।  ब्रह्मज्ञान केवल एक पूर्ण सतगुरु द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।  साध्वी जी ने विशेष बल देते हुए समझाया कि परमात्मा दर्शन का विषय है, एवं उसे केवल पढ़ने तक सीमित नहीं रखना चाहिए।

उन्होंने बताया कि ब्रह्मज्ञान के अभाव में आत्म-जाग्रति असंभव है। वर्तमान में, लोग स्वयं को धार्मिक से अधिक आध्यात्मिक मानते हैं , किन्तु वह इन दोनों के बीच का अंतर नहीं जानते। वास्तविकता से परे, आध्यात्म को ले कर सबकी अपनी एक अलग ही परिभाषा है। यही कारण है कि आज हर कोई अलग- अलग माध्यम से, प्रभु की खोज एवं प्राप्ति में लगा है, किन्तु  प्रभु तक पहुंचने का शाश्वत एवं एक मात्र उपाय ब्रह्मज्ञान ही है। ब्रह्मज्ञान से ही मनुष्य के अंतस में स्तिथ तम का नाश होता है और वो आत्मोन्मुखी होता है।

साध्वी जी ने बताया कि कई लोगों की यह धारणा होती है कि मरणोपरांत ही आत्मा की मुक्ति संभव है, जो कि एक मिथ्या धारणा है। ध्यान- साधना, सत्संग, निस्वार्थ सेवा के माध्यम से मनुष्य स्वयं को दुःख, भय, मोह जैसी व्याधियों से मुक्त कर ईश्वर की ओर निर्बाध गति से बढ़ता जाता है। जन-मानस को आध्यात्म के वास्तविक मार्ग की और अग्रसर करने वाली यह कथा दिव्य एवं बहुत ही अनूठी रही।

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