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जैसे जलती लौ अपने स्रोत, सूर्य की ओर उन्मुख रहती है, अपने मूल समुद्र में विलय होने के लिए नदी कलकल करती निरंतर बहती है, उसी प्रकार दिव्य चेतना की प्राप्ति हेतु ईश्वर दर्शन के अभिलाषी निरंतर उनकी ओर बढ़ते रहते हैं। आध्यात्मिक कार्यक्रम ईश्वर जिज्ञासुओं के लिए लक्ष्य सिद्धि का मार्ग प्रदान करते हैं। श्रीमद्भागवत कथा का उद्देश्य मानव को जीवन के वास्तविक लक्ष्य से परिचित करवाना है। श्रीमद्भागवत कथा को जीवन में उचित रूप से स्वीकार किया जाए तो उसमे जीवन को बदलने की क्षमता निहित है। वर्तमान समय में व्याप्त अराजक परिस्थितियों में सुखद व श्रेष्ठ जीवन जीने की कला प्रदान करने हेतु 12 नवंबर से 18 नवंबर 2018 तक पीलीभीत, उत्तर प्रदेश में कथा का आयोजन किया गया।

Shrimad Bhagwat Katha Arouses the Innate Divinity in Pilibhit, Uttar Pradesh

सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी पद्महस्ता भारती जी ने सात दिवसों तक कथा का प्रभावशाली वाचन किया। उन्होंने उपस्थित लोगों को समझाया कि कथा श्रवण का पूर्ण लाभ मात्र भगवान के साक्षत्कार द्वारा सम्भव है। उन्होंने भक्तों को ईश्वर दर्शन के विषय में विस्तार से बताते हुए कहा कि गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा द्वारा ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ईश्वर का प्रत्यक्ष अनुभव भी प्रदान किया जाता है।

साध्वी जी ने पवित्र श्रीमद्भागवत महापुराण के गहरे आध्यात्मिक सार को विस्तार से रखा। द्वापरयुग में अवतरित भगवान् श्री कृष्ण की प्रत्येक लीला मानवता को धर्म व सत्य के मार्ग पर बढ़ने का महत्व प्रगट करती है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म पथ पर अग्रसर करने के लिए शिक्षा के साथ दीक्षा भी प्रदान की थी।

Shrimad Bhagwat Katha Arouses the Innate Divinity in Pilibhit, Uttar Pradesh

परम पूजनीय सतगुरु सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा प्रदान ब्रह्मज्ञान की शाश्वत विधि एक साधक के भीतर दिव्यता को जागृत कर आंतरिक अनुभव प्रदान करने में सक्षम है। साधक के भीतर निहित दृढ़ व अचल विश्वास द्वारा ईश्वर की सत्ता प्रगट हो जाती है। शिष्य को गुरु द्वारा दिखाए गए पथ पर निरंतर बढ़ना चाहिए। ब्रह्मज्ञान विधि के ध्यान द्वारा शिष्य अपने  अंतिम लक्ष्य ईश्वर को प्राप्त कर पाता है।

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