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डीजेजेएस ने उत्तर प्रदेश के देवरिया क्षेत्र में श्रीमदभागवत कथा का 10 से 16 फरवरी 2020 तक सात दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया। इस आयोजन में भक्तों और गणमान्य लोगों की उपस्थिति देखी गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान श्री कृष्ण के चरण कमलों में स्तुति द्वारा किया गया, इसके बाद शिष्यों ने विभिन्न मधुर भजनों और भक्ति रचनाओं की श्रृंखला को प्रस्तुत किया।

Shrimad Bhagwat Katha Illuminated Path of Spirituality to the Masses at Deoria, Uttar Pradesh

गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी ने विश्व में शांति स्थापना हेतु व मानव को वास्तविक धर्म की ओर अग्रसर करने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की स्थापना की। सतगुरु सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन द्वारा डीजेजेएस विभिन्न सामाजिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में उन्नति व शांति की दिशा में निरंतर कार्यरत है।

कथा की आध्यात्मिक वक्ता साध्वी पद्महस्ता भारती जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा न केवल जीवन के दर्शन को व्यक्त करती है, बल्कि मानव जाति को सद्गुणी जीवन जीने के लिए नया दृष्टिकोण प्रदान करती है। श्री कृष्ण के जीवन-काल में घटित विभिन्न घटनाओं में जीवन के सिद्धांत को अच्छी तरह से स्पष्ट किया गया, जहाँ उन्होंने द्वारका के एक आदर्श राजा, अपने पुराने साथी सुदामा के सच्चे मित्र और अपने गुरु संदीपनी के उत्कृष्ट शिष्य होने की भूमिका को सिद्ध किया।

Shrimad Bhagwat Katha Illuminated Path of Spirituality to the Masses at Deoria, Uttar Pradesh

उपदेशक साध्वी जी ने समझाया कि भगवान श्री कृष्ण के गुणों का अनुभव तभी किया जा सकता है जब हम अपने भीतर के द्वेष को मिटाते हैं और अपने गुरु द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करते हैं। यह केवल "ब्रह्मज्ञान" के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है; आत्म-जागरण, वह सूत्र है जो मन और आत्मा को प्रबुद्ध करता है और सर्वोच्च चेतना से जोड़ता है। यह इस प्रकार मन व बुद्धि के भ्रम को समाप्त करता है व शांति, प्रसन्नता और आनंद प्रदान करता है।

इस आयोजन में विभिन्न सामाजिक कार्यक्रम जैसे कि संरक्षण- जिसका उद्देश्य मानव और प्रकृति के बीच घटते बंधन को फिर से स्थापित करना है। इसमें कई प्रकार के पौधे और उनके लाभ भी बताए गए। इस कार्यक्रम ने प्रत्येक व्यक्ति को अधिक से अधिक पौधे उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जो पर्यावरण को शुद्ध करने में मदद करेगा। “अंतरक्रांति- बंदी सुधार और पुनर्वास कार्यक्रम” का स्टाल लगाया गया, जिसमे तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा निर्मित कई हस्तशिल्पों को प्रदर्शित किया गया। जो उनकी आपराधिक प्रवृत्ति को रोकने व पुनर्वास हेतु सहयोग करता है।

श्रीमद्भागवत कथा ने दर्शकों के भीतर आध्यात्मिक विकास को प्रेरित करने में मदद करते हुए कार्यक्रम की सफलता को चिन्हित किया।

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