भौतिकवाद से पीड़ित समाज को आध्यात्मिक जाग्रति की ओर ले जाने के उद्देश्य से, दिव्यज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 7-दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का जम्मू और कश्मीर में 22से 28 सितंबर 2024 तक भव्य आयोजन किया। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी कालिंदी भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण के महान संदेश और उनकेजीवनकाल के विभिन्न प्रसंगों का विस्तार से विवरण प्रस्तुत किया।
साध्वी जी ने समझाया कि ब्रह्मज्ञान आत्म साक्षात्कार का सर्वोच्च विज्ञान है, जिसे समयके पूर्ण गुरु द्वारा प्राप्त किया जाता है। महाभारत में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के संवादका उदाहरण देते हुए, साध्वी जी ने बताया कि भगवान ने अर्जुन से कहा था - "अर्जुन, तुमइन बाहरी आँखों से मेरे शाश्वत रूप को नहीं देख सकते।" तत्पश्चात् भगवान श्री कृष्णअर्जुन के दिव्य नेत्र को जागृत करते हैं, जिससे उसे अपने भीतर भगवान के दिव्य परमस्वरूप का अनुभव प्राप्त होता है। ब्रह्मज्ञान की दीक्षा द्वारा प्राप्त यह दिव्य अनुभव ही अर्जुन की सम्पूर्ण कला, शक्ति, भक्ति का स्रोत बने; जिसके द्वारा अर्जुन अपने जीवन में हर परिस्थिति का सामना करते हुए आगे भी बड़ा और शाश्वत भक्ति से जुड़कर जीवन को सफल भी बनाया।
आज वही ब्रह्मज्ञान दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा विश्व भर में ईश्वर जिज्ञासुओंको प्रदान किया जा रहा है, ताकि आध्यात्मिक प्रगति के साथ-साथ सामाजिक परिवर्तनद्वारा धरा को फिर से सुंदर बनाया जा सके। ब्रह्मज्ञान की दीक्षा प्राप्त करने पर, साधकध्यान साधना का अभ्यास करते हैं। परिणामस्वरूप, उनके व्यक्तित्व में एक सम्पूर्णबदलाव आता है, जिससे वे औरों के लिए भी आत्म जाग्रति के मार्ग पर बढ़ने की प्रेरणाबनते हैं।
साध्वी जी ने सभी उपस्थित श्रद्धालुओं से मानव जीवन के वास्तविक लक्ष्य की ओर कदमबढ़ाने और इसे वास्तव में सार्थक बनाने का आह्वान किया। भक्तिपूर्ण मधुर भजनों एवंज्ञानरस से भरपूर प्रवचनों की श्रृंखला ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। कई जिज्ञासुओं नेब्रह्मज्ञान की दीक्षा प्राप्त करके अंतरजगत में ईश्वर साक्षात्कार किया। यह आयोजन पूर्णतःसफल रहा, और सभी ने इसकी भूरि भूरि प्रशंसा की।