Read in English

भगवान श्री कृष्ण की मौलिक शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाने के लिए, गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के मार्गदर्शन में, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा बिहार के सहरसा क्षेत्र में 9-15 मार्च, 2022 तक, 7 दिवसीय श्रीमदभागवत कथा का आयोजन किया गया। इस भव्य कथा में अनेक भक्तों और गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति देखी गई। श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या, कथा व्यास साध्वी कालिंदी भारती जी ने कथा के माध्यम से श्री कृष्ण के जीवन से दिव्य शिक्षाओं और आदर्शों को सरलता से समझाया। कथा में शिष्यों द्वारा गाए गए भजनों ने उपस्थित भक्त श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ किया गया।

Shrimad Bhagwat Katha Unveiled the Deep Spiritual Messages Inherent in Shri Krishnas Teachings at Saharsa, Bihar

श्रीमद् भागवत पुराण में निहित गहन आध्यात्मिक संदेशों को उजागर करते हुए, साध्वी जी ने भक्त प्रह्लाद के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे भगवान विष्णु के अनन्य भक्त प्रहलाद को अपने पिता हिरण्यकश्यप द्वारा दी गई विभिन्न प्रकार की यातनाओं का सामना करना पड़ा। परन्तु फिर भी उन्होंने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी। भक्त प्रहलाद सत्य के मार्ग पर चलने के लिए दृढ़ थे और कोई भी प्रलोभन या बाधा उन्हें भक्ति  मार्ग पर आगे बढ़ने से रोक नहीं पाई। अंत में भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप में अवतार लिया और अपने भक्त का रक्षण किया। इस संदर्भ में साध्वी जी ने समझाया कि कठिन से कठिन समय में भी भक्त घबराता नहीं, धैर्य नहीं छोड़ता।

ब्रह्मज्ञान आधारित ध्यान के मार्ग का अनुसरण करने वाला शिष्य मुश्किल समय में भी तनाव मुक्त और शांत रहता है। श्रीमद्भगवदगीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं – “अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जना: पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्।।‘’ अर्थात् जो भक्त अनन्य भाव से मेरा चिंतन करते हुए मुझे पूजते हैं, उनके योगक्षेम को मैं स्वयं वहन करता हूं।

Shrimad Bhagwat Katha Unveiled the Deep Spiritual Messages Inherent in Shri Krishnas Teachings at Saharsa, Bihar

साध्वी जी ने कहा कि भक्ति पथ पर अडिगता और समर्पण के लिए आध्यात्मिक जागृति अनिवार्य है। और आध्यात्मिक जागृति केवल ब्रह्म ज्ञान द्वारा ही संभव है। एक पूर्ण गुरु जब ब्रह्म ज्ञान प्रदान करते हैं, तब हम अपने अंतर्घट में ईश्वर का साक्षात्कार कर पाते हैं।

हमें भी श्री कृष्ण सदृश एक पूर्ण सत्गुरु की खोज करनी चाहिए, जो हमें ब्रह्मज्ञान के माध्यम से आध्यात्मिक जागृति प्रदान कर सकें। आत्म-साक्षात्कार एक व्यक्ति के भीतर सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायता करता है।

कथा पंडाल में एकत्रित भक्त श्रद्धालुओं की विशाल सभा को दिए गए विचारों से अत्यंत लाभ हुआ और उन्होंने इस कार्यक्रम हेतु किए गए डीजेजेएस व उसके प्रतिनिधियों तथा कार्यकर्त्ताओं के प्रयासों की खूब प्रशंसा की।

Subscribe Newsletter

Subscribe below to receive our News & Events each month in your inbox