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दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन और अनुकम्पा से भारतीय नव वर्ष २०२३ (विक्रम संवत २०८०) के पावन उपलक्ष्य पर शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी माध्यन्दिन शाखाकृत रुद्री पाठ ग्रन्थ का विमोचन २ अप्रैल २०२३ को दिव्य धाम आश्रम में हुआ। कार्यक्रम का आरम्भ सुमधुर आध्यात्मिक भजनों व प्रेरणादायी प्रवचनों से हुआ।

Shukla Yajurvediya Rudra Ashtadhyayi Madhyandina Shakhakrit- Rudri Path Granth launched & preserved in its purest form

डॉ हर्ष वर्धन, लोकसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री, पद्म श्री हंसराज हंस, लोकसभा सांसद, श्री रमेश अग्रवाल जी, अध्यक्ष, अग्रवाल मूवर्स एंड पैकर्स, श्री हेमंत जी, उपाध्यक्ष, सेवा भारती और विभिन्न क्षेत्रों के अन्य प्रतिष्ठित अतिथिगण इस वृहद् वैदिक कार्यक्रम में शामिल हुए।

दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के नन्हे सेवादारों ने हितोपदेश  पर आधारित एक संस्कृत नाटक "पुनर्मुषको भव" का मंचन किया। तदोपरान्त, दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी दीपा भारती जी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज बच्चों को आरंभ से ही संस्कृत, संस्कार एवं संस्कृति के प्रति जागरूक करना आवश्यक है। कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण पर प्रकाश डालते हुए साध्वी जी ने शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी, माध्यन्दिन शाखाकृत, रुद्री पाठ ग्रंथ की अनुपमता को सभी के समक्ष संप्रेषित किया। साध्वी जी ने बताया की इस रुद्री पाठ ग्रंथ को संस्कृत मंत्रो के साथ IAST प्रारूप में लिप्यंतरित व IAST में वैदिक स्वरों को अंकित करके दिया गया है। यह कार्य विश्व में केवल दिव्य ज्योति वेद मन्दिर द्वारा, श्री गुरु महाराज जी की दिव्य कृपा से ही किया गया है।

Shukla Yajurvediya Rudra Ashtadhyayi Madhyandina Shakhakrit- Rudri Path Granth launched & preserved in its purest form

साध्वी योगदिव्या भारती जी, साध्वी कामाख्या भारती जी व दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के अन्य प्रचारक गण एवं दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के प्रतिनिधियों ने "आशुतोषार्पण" हेतु  रुद्री पाठ ग्रंथ की पहली कृति को दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी को अर्पित किया।

तदोपरान्त, गणमान्य अतिथियों के साथ स्वामी नरेन्द्रानन्द जी, स्वामी आदित्यानन्द जी, स्वामी नरेशानन्द जी और स्वामी तेजोमयानन्द जी सहित दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के प्रतिनिधियों ने शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी, माध्यन्दिन शाखाकृत, रुद्री पाठ ग्रंथ का भव्य विमोचन द्वारा “लोकार्पण किया।

वैदिक मंत्रों के स्पंदन से संपूर्ण आभा दिव्यता से भर उठी। इस दिव्य लोकार्पण के दिव्य क्षणों ने सभी के हृदयों को हर्ष और उल्लास से भर दिया| डॉ. हर्षवर्धन जी ने  दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के इस अद्वितीय कार्य की सराहना की व संस्थान के प्रयासों को वृहद् स्तरीय बनाने हेतु सहयोग करने की इच्छा भी व्यक्त की|

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