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अगर हम कुछ दशक पहले नज़र डालें तो पाएंगें कि आज की अपेक्षा पहले के लोगों के पास कम संसाधन थे। वर्तमान सामाजिक संरचना में ऐसी प्रगति हुई है कि आज सब कुछ उंगली के इशारे पर उपलब्ध है परन्तु फिर भी बढ़ते संसाधनों के साथ दिन-प्रतिदिन समस्याएं कई गुना बढ़ रही है। इसका कारण हर व्यक्ति अनेक गतिविधियों, लक्ष्यों और इच्छाओं में उलझा हुआ है। जीवन के प्रति इस दृष्टिकोण से चिंता, अवसाद और तनाव में वृद्धि हुई है। पहले के समय में लोग कड़ी मेहनत करते थे परन्तु साथ ही अपने अन्य कार्य जैसे भोजन, प्रार्थना आदि के लिए भी समय निकाल लेते थे, जिसके परिणामस्वरूप तनावपूर्ण स्थिति व कठिन परिस्थितियों से जूझने हेतु आवश्यक ऊर्जा को प्राप्त करते थे। लेकिन आज की परिस्थितियों में खुद को तनाव से बचाने का क्या मार्ग है?

Soul Awakening Lecture on Stress Management at Shimla, Himachal Pradesh

परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संस्थापित व संचालित- दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 2 अप्रैल 2019 को हिमाचल प्रदेश के मॉडर्न एजुकेशन कॉलेज, शिमला में इस मुद्दे को संबोधित करते हुए एक व्याख्यान का आयोजन किया। कल्याण कार्यशालाओं, व्यक्तित्व विकास, महिला सशक्तिकरण, युवा विकास, कॉर्पोरेट क्षेत्र सेमिनार, एवं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों की प्रसिद्ध वक्ता साध्वी ओम प्रभा भारती जी ने तनाव प्रबंधन विलक्षण सत्र पर विचार प्रदान किए।

साध्वी जी ने समृद्ध भारतीय इतिहास के उद्धरण रखते हुए समझाया कि हमारे देश के लोगों के सामने बहुत सी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां थीं, फिर भी उन्होंने ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में असाधारण मानसिक स्थिरता और शक्ति का प्रदर्शन किया। जिस प्रकार नंद वंश के भ्रष्ट और क्रूर शासनकाल के दौरान आचार्य चाणक्य के शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य ने मानसिक स्थिरता व शक्ति का परिचय दिया। छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगल साम्राज्य के साथ-साथ ब्रिटिश औपनिवेशिक शक्तियों की शत्रुता के उपरांत भी अच्छी तरह से संरचित प्रशासनिक संगठनों के साथ एक सक्षम और प्रगतिशील शासन की स्थापना की। भारतीय इतिहास ऐसे अनेक उदाहरणों से स्वर्णिम रहा है।

Soul Awakening Lecture on Stress Management at Shimla, Himachal Pradesh

साध्वी जी ने आगे बताया कि उस समय उनके पास आधुनिक विज्ञान व मनोवैज्ञानिक या भौतिक उपचार नहीं था, बल्कि आत्म जागृति (ब्रह्मज्ञान) के सहयोग से जागृत आत्मा की शक्ति थी। उन्होंने कहा कि हर परिस्थित का प्रभाव आपके मानसिक स्तर पर निर्भर है और हमारा वैदिक विज्ञान, मन के लिए संतुलन की स्थिति प्रदान करता है। एक संतुलित मन न तो हर्षित होता है और न ही दुखी, न आशावान और न ही भयभीत। ऐसी अवस्था तभी प्राप्त होती है जब आत्मा जागृत होती है। प्रत्येक विचार, क्रिया के रूप में प्रकट होने से पहले, जब ज्ञान के माध्यम से परिष्कृत होता है तभी मानव कल्याण मार्ग की ओर अग्रसर हो सकता है। पूर्ण सतगुरु की कृपा से प्राप्त ब्रह्मज्ञान का नियमित अभ्यास, तनाव को समाप्त करता है। यह एकमात्र ऐसी तकनीक है जो एक व्यक्ति को तनाव से मुक्त कर आध्यात्मिक शांति व स्थिरता तक ले जाती है।

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