बाहरी जगत में शान्ति की स्थापना केवल तभी संभव है जब प्रत्येक मानव अपने अंतस में उतर कर उस परम शांति को प्राप्त कर पाए।
इसी उक्ति का उद्घोष हुआ शिमला,कैथु की जिला जेल परिसर में जहां दिनांक 10 मई 2018 को अंतरक्रांति द्वारा एक दिवसीय सत्संग कार्यक्रम एवं ध्यान सत्र का आयोजन किया गया।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रचारक स्वामी श्री विज्ञानानंद जी, साध्वी संदीपा भारती जी, साध्वी ममता भारती जी, साध्वी हरिदीपिका भारती जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता का कार्यभार संभाला। वहीं पुलिस सहायक अधीक्षक श्री ललित मोहन जी ने पधार कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
युवाओं में फैली उदासीनता का विवरण देते हुए साध्वी जी ने बताया कि किस तरह आज का युवा भौतिकवादी दुनिया में लक्ष्यविहीन भटक रहा है जिससे उसके अंदर नकारात्मक विचारों का जन्म होता है और इसी तनाव के चलते वो नशे के कुचक्र में फंस जाते है।
इस दुष्वृति से मुक्ति तभी संभव है जब युवा अपने अंतस में उतर कर स्वयं की खोज करे। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का उदाहरण देते हुए साध्वी जी ने समझाया कि आज के युवा को आवश्यकता है श्रेष्ठ चरित्र गठन की उसे आवश्यकता है आध्यात्म की और ये केवल और केवल ब्रह्मज्ञान द्वारा ही संभव है।
इस कार्यक्रम में 360 कैदियों ने भाग लिया।सत्संग प्रवचन के अलावा स्वामी जी ने योग एवं प्राणायाम की कई पद्धतियों के बारे में सिखाया और साथ ही साथ स्वास्थ्य संबंधी नुस्खों से भी अवगत कराया।
कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय ने इन्हें अपने जीवन में लागू करने का वचन लिया।
कार्यक्रम के अंत में अखंड ज्ञान पुस्तिका का वितरण किया गया। इसके अतिरिक्त जेल प्रशासन ने अंतरक्रांति के प्रयासों की भरपूर सराहना की।