गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 17 सितंबर, 2022 को न्यू पब्लिक हाई स्कूल, सुंदरबनी, राजौरी, जम्मू में तनाव प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया गया। संस्थान प्रतिनिधि द्वारा प्रेरक व्याख्यान, स्किट, योग व विभिन्न गतिविधियों द्वारा सभी उपस्थित छात्र प्रेरित और निर्देशित हुए।
संस्थान प्रतिनिधि, डॉ सर्वेश्वर जी (श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य) ने कहा कि आज के समय में जहां हर जगह प्रतिस्पर्धा है और सभी के जीवन में व्यक्तिगत समस्याएं हैं, वहां तनाव जीवन का एक हिस्सा ही बन गया है। परीक्षा, प्रतिस्पर्धा और साथियों के दबाव के कारण छात्र बहुत तनाव से गुजरते हैं। तनाव न केवल मानसिक पीड़ा का, बल्कि विभिन्न स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का भी कारण बनता है, जैसे कि मोटापा, हृदय संबंधी समस्याएं आदि। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि बेहतर और सुखी जीवन के लिए तनाव की समस्या का समय पर समाधान किया जाए। हम देख सकते हैं कि लोग तनाव प्रबंधन के लिए विभिन्न बाहरी तरीकों को अपना रहे हैं, जैसे तनाव प्रबंधन कार्यशालाएं लेना, परामर्शदाताओं की मदद लेना, आदि। लेकिन अक्सर यह देखा जाता है कि इन सभी बाहरी तरीकों का लोगों पर बहुत ही अल्पकालिक प्रभाव पड़ता है। कुछ समय बाद ही उन्हें उसी तनावपूर्ण जीवन के साथ जूझते हुए देखा जाता है। कभी-कभी एक छात्र एक ही समय में कई समस्याओं से गुज़र रहा होता है, जो अत्यधिक तनाव का कारण बन सकता है। यह उसकी एकाग्रता, स्वास्थ्य, भावनाओं पर असर डालता है। परीक्षाओं में खराब प्रदर्शन का कारण बनता है। और कुछ मामलों में तो यह भी देखा जाता है कि कई बार वे ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं जहां वे तनाव को संभाल नहीं पाते और जीवन को खत्म करने तक का निर्णय ले लेते हैं।
डॉ. सर्वेश्वर जी ने आगे कहा कि अपने जीवन से तनाव को खत्म करने के लिए सबसे पहले हमें तनाव के मूल कारण को समझने की जरूरत है, जो कि नकारात्मक मानसिकता है। कोई भी बाहरी ज्ञान या व्याख्यान इस संदर्भ में चिरस्थायी परिवर्तन नहीं ला सकता। जब हम पूर्ण आध्यात्मिक गुरु की कृपा से प्राप्त ब्रह्मज्ञान आधारित नियमित ध्यान के माध्यम से अपनी आत्मा के साथ गहराई से जुड़ते हैं, तभी हम अपने जीवन से तनाव को समाप्त कर सकते हैं। केवल समय के पूर्ण आध्यात्मिक गुरु ही मनुष्य को यह दिव्य ज्ञान प्रदान कर सकते हैं। नियमित ध्यान और सतगुरु (आध्यात्मिक गुरु) के मार्गदर्शन में चलने से ही हम शांत मन और सुखी जीवन प्राप्त कर सकते हैं।
संस्थान द्वारा तथ्यों का तार्किक और वैज्ञानिक प्रस्तुतीकरण सभी छात्रों और शिक्षकों को खूब पसंद आया और वे ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के लिए भी प्रोत्साहित हुए। कार्यशाला ने अपने उद्देश्य की पूर्ति की और ब्रह्मज्ञान का संदेश सफलतापूर्वक दिया।