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दिव्य ज्योति वेद मंदिर शिक्षात्मक अनुसंधान पर आधारित दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की एक पहल है जिसकी स्थापना वैदिक संस्कृत के प्रसार एवं वेद मंत्रोंच्चारण की मौखिक परम्परा को कायम रखने हेतु की गई। इसके अतिरित्क इस पहल का उद्देश्य संस्कृत भाषा जो कि सभी भाषाओं की जननी मानी जाती है को पठन-पाठन की प्रक्रिया के माध्यम से जन मानस तक पहुँचाना है। वर्तमान में दिव्य ज्योति वेद मंदिर यजुर्वेद पर आधारित अनुसंधान एवं रुद्रीपाठ पर आधारित कक्षाओं का ऑनलाइन कार्यक्रमों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर संचालन कर रहा है। 

इसी श्रृंखला में मार्च 2021 में एक और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसके माध्यम से 100 से ज़्यादा शिक्षकों अर्थात् 10 बैच के विद्यार्थियों को विभिन्न चरणों मे प्रशिक्षित किया गया। इस प्रशिक्षण सत्र में सभी शिक्षकों को रुद्री पाठ के मंत्रों के विशुद्ध उच्चारण के सम्बन्ध में उत्तम सूत्र सिखाए गए । इन प्रशिक्षण कक्षाओं के माधयम से शिक्षकों को संस्कृत व्याकरण के मूलभूत नियमों , श्लोक – निर्माण की प्रक्रिया तथा वैदिक ध्वन्यात्मक पद्धति द्वारा सस्वर वाचन की शैली को भी सिखाया गया । सभी शिक्षकों का उपरोक्त मापदंडों के अतिरिक्त व्यवहार , सत्र में नियमानुसार उपस्थिति , आत्म अनुशासन एवं शिक्षण तकनीक के आधार पर मूल्यांकन किया गया। प्रशिक्षण सत्र का संचालन कुल 12 कक्षाओं के तहत किया गया एवं 11 अप्रैल 2021 को चयनित विद्यार्थियों के लिए अंतिम परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। 

इन प्रभावशाली वैदिक मंत्रों के प्रपठन व उच्चारण ने वेदपाठियों के जीवन व उनके वातावरण को दिव्य व सकारात्मक तरंगों से तरंगित किया। प्रशिक्षण सत्रों में शिक्षकों ने उत्साहपूर्ण सहभागिता दिखायी । नव प्रशिक्षित शिक्षकों ने यह  संकल्प किया कि वे वेद मंत्र उच्चारण के ज्ञान को सभी विद्यार्थियों तक विशुद्ध रूप से पहुचाएंगे तथा उन्हें शिक्षित करेंगे के साथ ही सत्र के समापन में पूर्ण रूपेण योगदान प्रदान करेंगे।

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