24 से 28 फरवरी 2022 तक अमृतसर पंजाब में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के मार्गदर्शन में पांच दिवसीय शिव कथा का आयोजन किया गया। कथा व्यास साध्वी गरिमा भारती जी ने श्रद्धालुओं के समक्ष कथा को अति मनोरम ढंग से प्रस्तुत किया। कथा कार्यक्रम में आज के वर्तमान समाज के भीतर शान्ति की आवश्यकता को आध्यात्मिक विचारों द्वारा समझाया गया।
साध्वी जी ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया कि भगवान शिव न केवल राक्षसों या ब्रह्माण्ड के विनाशक हैं, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण बात, दिव्य ज्ञान ( ब्रह्मज्ञान ) के प्रदाता भी हैं । भगवान शिव की सभी मूर्तियों में से दक्षिणामूर्ति के रूप में वट वृक्ष के नीचे बैठे परोपकारी शिक्षक (गुरु) के रूप में उनका चित्रण सबसे आकर्षक हैं। भगवान शिव एक गुरु के रूप में उस दिव्य ज्ञान की और इंगित करते हैं जिसके माध्यम से कोई भी मनुष्य ईश्वर का प्रत्यक्ष साक्षात्कार कर सकता है। पवित्र भारतीय संस्कृत ग्रंथों में उल्लेख्य किया गया है कि एक पूर्ण आध्यात्मिक गुरु की कृपा के बिना ईश्वर के प्रत्यक्ष दर्शन संभव नहीं हैं। एक मात्र ब्रह्मज्ञानी गुरु ही हमारे अंतर्घट में दिव्य प्रकाश का प्रकटीकरण कर सकते हैं ।
गुरु गीता में वर्णित है कि एक बार देवी पार्वती ने यह जानकर कि भगवान शिव ब्रह्मज्ञान की प्राचीन तकनीक को जानते थे, उन्होंने भगवान शिव से इस ज्ञान की मांग की । भगवान शिव ने कहा कि ब्रह्मज्ञान के अभाव में एक प्राणी जन्म और मृत्यु के दर्दनाक चक्र में भटकता रहता है। परन्तु जब एक पूर्ण तत्वेत्ता गुरु मनुष्य को यह ज्ञान प्रदान करते हैं , तो मनुष्य को जीवन की दुखद घड़ी में भी उत्साहपूर्वक दृढ़ता से जीवन यापन करने की विधि बताते है। ब्रह्मज्ञान उसे सार्वभौमिक सकारात्मक ऊर्जा से जोड़ देता है। ब्रह्मज्ञान के निरंतर अभ्यास से व्यक्ति भीतर से स्वयं शांत हो जाता है और समाज में शांति की स्थापना हेतु अपना योगदान प्रदान कर पाता है। यह समझाते हुए ही भगवान शिव ने देवी पार्वती को ब्रह्मज्ञान की दीक्षा प्रदान की थी।
कथा को समापन की ओर ले जाते हुए साध्वी जी ने कहा कि जैसे देवी पार्वती ने ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया, वैसे ही हम सभी को भगवान शिव जैसे पूर्ण तत्वेत्ता गुरु से यह ज्ञान प्राप्त करना चाहिए । मात्र ब्रह्मज्ञान ही हमें विवेकी बना सकता है और सही मायने में जीवन जीने की कला सिखाता है। इस ज्ञान की प्राप्ति हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वार आपके लिए सदैव खुले हैं । कथा का समापन भगवान शिव की महा आरती और प्रसाद वितरण के साथ हुआ। दैनिक भास्कर, दैनिक सवेरा टाइम्स इत्यादि प्रिंट मीडिया ने कथा को व्यापक रूप से कवर किया।