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मासिक सत्संग समागम इंगित करते है प्राचीन काल से चली आ रही गुरु-शिष्य परंपरा की ओर।  प्रतिमाह होने वाले यह कार्यक्रम गुरु एवं शिष्य के मध्य पवित्र पावन संबंधों को और प्रगाढ़ करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की दिव्य अनुकम्पा से दिनांक 30 एवं 31 मार्च 2019 को हैदराबाद और बेंगलुरु में सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया जहाँ स्वामी श्री नरेंद्रानंद जी ने समझाया कि एक शिष्य का सदैव अपने गुरु से भावों का रिश्ता होता है। उन्होंने बताया कि संत महापुरुषों ने हमें ऐसा मार्ग प्रदान किया है जो गुरु चरणों से सदैव एक शिष्य को जोड़े रखता है और वह है प्रार्थना का मार्ग। जिसके माध्यम से एक शिष्य अपने गुरु से चिरस्थायी तारतम्यता स्थापित कर सकता है।

The Monthly Spiritual Congregation at Bengaluru & Hyderabad Emphasized the Importance of Prayer

स्वामी जी ने समझाया कि एक शिष्य का अपने गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण होना चाहिए और इसके लिए उसे सदैव प्रार्थनारत रहने की आवश्यकता है। एक शिष्य को सदैव यह स्मरण रहना चाहिए कि इस संसार में मात्र गुरु ही वो सत्ता है जिनके सब कार्य शिष्यों के कल्याणार्थ ही हुआ करते है। शिष्यों की आध्यात्मिक उन्नति ही उनका लक्ष्य हुआ करती है। दुनिया की इस अपूर्णता में केवल एक गुरु ही पूर्ण हुआ करते हैं जो प्रत्येक क्षण आध्यात्म की इस यात्रा में अपने शिष्यों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

दुनिया की इस भीड़ में मात्र गुरु ही हैं जो अपने शिष्यों को चिरस्थायी आनंद प्रदान करते हैं।  किन्तु,  शिष्य का भी कर्तव्य बनता है कि वह भी गुरु द्वारा दी गई आज्ञाओं का पूर्णरूपेण पालन करे।  प्रार्थना ही वह माध्यम है जो एक शिष्य को गुरुआज्ञा रुपी दुर्ग में सुरक्षित रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रार्थना की शक्ति ही मन की चंचलता को स्थिरता प्रदान करती है। एक गुरु और शिष्य को आध्यात्मिक स्तर पर और नज़दीक लाती है। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से प्रशिक्षित शिष्य संगीतकारों द्वारा गाए गए भजनों ने उपस्थित  जनसमुदाय को मंत्रमुग्ध कर डाला।  कार्यक्रम का समापन भंडारे के साथ किया गया।

The Monthly Spiritual Congregation at Bengaluru & Hyderabad Emphasized the Importance of Prayer

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