ईश्वर को देखा जा सकता है और हमारे लिए देखना नितांत आवश्यक है। दिव्य ज्ञान (ब्रह्म ज्ञान) के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए, डीजेजेएस द्वारा 18 सितंबर 2021 को ब्रिस्बेन, क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में एक दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ और उसके बाद सुमधुर भजनों की प्रस्तुति हुई। तत्पश्चात, डीजेजेएस के संस्थापक एवं संचालक परम पूजनीय श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य ने श्रीमद भागवत गीता पर विस्तृत आध्यात्मिक संदेशों को सबके समक्ष रखा जिसमें उन्होंने ग्यारहवें अध्याय पर ध्यान केंद्रित करते हुए, श्रोताओं के समक्ष कार्यक्रम के मूल विषय को बहुत ही आकर्षित ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया की मानव जीवन का वास्तविक एवं प्राथमिक उद्देश्य ईश्वर प्राप्ति हैं।
कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अपने चचेरे भाई कौरवों का हत्यारा कहे जाने के भय से अभिभूत अर्जुन युद्ध से विरत हो गए। उनकी स्थिति देखकर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें दिव्य ज्ञान का प्राचीन विज्ञान बताया और उन्हें ब्रह्मज्ञान प्रदान कर उनके भय को दूर किया। यह प्रसंग आज तक भागवत गीता पाठ के रूप में जीवित है। कारण इसके ग्यारहवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण के विश्वरूप (दिव्य सार्वभौम रूप) का वर्णन है। भगवान श्री कृष्ण केवल अपने दिव्य रूप के सार के बारे में बात नहीं करते हैं, बल्कि इसे अर्जुन को दिखाते हैं। यह भगवान श्री कृष्ण की दिव्यता का वास्तविक साक्षी है जो भयभीत अर्जुन को एक निडर योद्धा में बदल देता है जो न केवल कुरुक्षेत्र की लड़ाई बल्कि जीवन की लड़ाई भी जीतता है।
अर्जुन की विजय भगवान श्री कृष्ण द्वारा उन्हें दिए गए ब्रह्मज्ञान का प्रत्यक्ष परिणाम थी। लेकिन क्या अर्जुन ने इस ज्ञान की अग्नि को अपने भीतर प्रखर रखने के लिए कुछ नहीं किया? उन्होंने किया और उन्होंने जो रणनीति अपनाई वह भगवान श्री कृष्ण के दिव्य रूप के प्रति पूर्ण भक्ति थी। परमात्मा की भक्ति ही मानव जीवन का उद्देश्य हैं। ईश्वर भक्ति नश्वरता के प्रति मोह को खत्म करती है और अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद करती है जो अनिवार्य रूप से व्यक्ति को ऊपर उठाती है। डीजेजेएस के शिष्यों ने भगवान श्री कृष्ण के शिष्य उद्धव के जीवन चरित्र पर एक नाट्य मंचन के माध्यम से कुछ पहलुओं को दर्शाया। ब्रह्मज्ञानी उद्धव ने सदैव दिव्य ज्ञान को सर्वोच्च और भक्ति को गौण माना। लेकिन भगवान श्री कृष्ण उद्धव को यह दिखाना चाहते थे कि भक्ति के बिना दिव्य ज्ञान व्यक्ति को अभिमानी बना सकता है। इसी उद्देश्य से भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के लिए एक पत्र उद्धव के द्वारा बृज भेजा। उद्धव को जैसा कहा गया था उन्होंने वैसा ही किया। लेकिन जब वे बृज पहुंचे तो उन्होंने पाया कि गोपियां भगवान श्री कृष्ण की शारीरिक अनुपस्थिति से दुखी नहीं थीं, बल्कि शांति की स्थिति में थीं। उद्धव ने उनसे इसका कारण पूछा। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि हमने भक्ति के माध्यम से भगवान के साथ दिव्य शाश्वत संबंध स्थापित कर लिया है। उद्धव को अपनी गलती का एहसास हुआ, वे भगवान श्री कृष्ण के पास लौट आए और क्षमा मांगी। इस तरह, भगवान श्री कृष्ण ने उद्धव को दिव्य ज्ञान के साथ-साथ भक्ति की प्रासंगिकता को समझने में मदद की। भगवान श्री कृष्ण का यह शाश्वत संदेश हम सभी के लिए भी है और इस आयोजन के माध्यम से डीजेजेएस ने भी यही संदेश दिया कि पूर्ण गुरु द्वारा शाश्वत भक्ति के साथ दिया गया दिव्य ज्ञान शांतिपूर्ण, आंतरिक और बाहरी दुनिया की एकमात्र कुंजी है।
डीजेजेएस द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की माननीय अतिथियों द्वारा अत्यधिक सराहना की गई। कार्यक्रम में अतिथियों के रूप में Cr. एंजेला ओवेन (काउंसलर, ब्रिस्बेन सिटी काउंसिल), ओएएम उमेश चंद्र (सीईओ, चेंटेक्स प्राइवेट लिमिटेड), श्री राकेश शर्मा (अध्यक्ष, जीओपीआईओ ब्रिस्बेन), श्री परवीन गुप्ता (सॉलिसिटर, टोनियो लॉयर्स), और श्री टोनियो थॉमस ( प्रिंसिपल, टोनियो लॉयर्स) उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन प्रसाद वितरण के साथ हुआ।