महाकाव्य रामायण मानव में धैर्य, आत्म-नियंत्रण और चैतन्यता का आधार प्रदान करता है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने महाराष्ट्र के अमरावती में 2 से 8 फरवरी 2020 तक सात दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया गया। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथाव्यास रामायण मर्मज्ञा साध्वी श्रेया भारती जी ने भगवान श्री राम के दिव्य चरित्र को भक्तों के समक्ष रखा।
साध्वी जी ने ब्रह्मज्ञान के शाश्वत ज्ञान के विषय पर चर्चा करते हुए समझाया कि ब्रह्मज्ञान द्वारा ही मनुष्य श्री राम के वास्तविक तत्व से परिचित हो सकता है। साध्वी जी ने राम गाथा के सभी भागों का सरसपूर्ण तरीके से वर्णन किया है। उन्होंने समझाया कि महाकाव्य रामायण हमें यही सन्देश देता है कि गुरु के वचनों पर सदैव पूर्ण विश्वास होना चाहिए व् धैर्य और दृढ़ संकल्प से गुरु वचनों की पालना करनी चाहिए। हमें भक्ति के मार्ग पर चलना चाहिए और गुरु पर पूर्ण विश्वास रखना चाहिए। आज भारतीय समाज पश्चिमी जीवन शैली को अपनाने के कारण अपने गुणों, मान्यताओं और रीतियों को भूलता जा रहा है, इस कारण समाज में अनेक कुरीतियों पनपती जा रही हैं।
श्री राम कथा के माध्यम से उपस्थित लोगों ने श्रेष्ठ व्यवहार और संबंधों को बनाए रखने के महत्व को जाना, जो शांतिपूर्ण समाज निर्माण का आधार है। श्री हनुमान और लक्ष्मण जी के जीवन चरित्र की व्याख्या करते हुए, मानव को धर्म और समाज के प्रति उनके कर्तव्यों से अवगत करवाया गया। 'ब्रह्मज्ञान' की ध्यान तकनीक के माध्यम से मनुष्य आंतरिक जगत में प्रवेश कर आत्मिक आंनद का अनुभव कर सकता है।
साध्वी जी ने समझाया कि यदि कोई व्यक्ति आत्मा की मुक्ति प्राप्त करना चाहता है, तो उन्हें धार्मिकता के मार्ग का पालन करना चाहिए। पूर्ण सतगुरु वह है जो आत्म-साक्षात्कार के दिव्य ज्ञान द्वारा शिष्य को आध्यात्मिकता के वास्तविक मार्ग से अवगत करवाते हैं। श्री राम की प्राप्ति मात्र ब्रह्मज्ञान की सनातन प्रक्रिया द्वारा सम्भव है। एक जागृत आध्यात्मिक गुरु की कृपा द्वारा ही जिज्ञासु ब्रह्मज्ञान तकनीक को प्राप्त कर सकता है। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी सम्पूर्ण विश्व में ब्रह्मज्ञान द्वारा मानव घट में श्री राम का प्राकट्य करते हुए, "राम राज्य" की परिकल्पना को साकार कर रहे हैं। मानव व समाज में श्री राम और अयोध्या की स्थापना हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान सभी का आवाहन करता है। कथा की दिव्यता द्वारा श्रोताओं को श्री राम कथा की शुद्ध और प्रेरक आभा में लीन देखा जा सकता था।