6 जनवरी, 2019 को डबवाली मलको की, पंजाब में भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या ने जीवन में गुरु की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गुरु, किसी भी मानव के मन को शांत कर सकते हैं। मानव के विचार सदैव अतीत और भविष्य के बारे में उलझे रहते हैं। मन की यही प्रवृत्ति मानव को जीवन में अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने से रोकते हुए उसकी प्रगति में बाधा उत्पन्न करती है। साध्वी जी ने समझाया कि विचार दोधारी तलवार के समान है जिसका उपयोग निर्माण और विनाश दोनों के लिए किया जा सकता है। ध्यान की वास्तविक तकनीक द्वारा विचारों को संतुलित और नियंत्रित किया जा सकता है। ध्यान के निरंतर अभ्यास से व्यक्ति अपने विचारों को नियंत्रित कर सफलता के रहस्य को प्राप्त कर लेता है।
इन प्रेरणादायक विचारों को सुनने के लिए बड़ी संख्या में जुटे श्रद्धालु ने वातावरण में दिव्यता का अनुभव किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से सम्बन्धित अनेक स्वयंसेवक ब्रह्मज्ञान के प्रचार हेतु निःस्वार्थ भाव से अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे थे। स्वयंसेवक स्वयं ब्रह्मज्ञान द्वारा वास्तविक ध्यान तकनीक को जान व इसके नियमित अभ्यास से जीवन में प्रगति प्राप्त करने हेतु सक्षम हुए हैं।
विवेकी मानव अपने समय को निरंतर ध्यान में लाते है। मानव, ध्यान की वास्तविक तकनीक को “ब्रह्मज्ञान” के माध्यम से प्राप्त कर श्रेष्ठ मार्ग की ओर अग्रसर हो पाता है। ध्यान के नियमित अभ्यास से साधक द्वारा किए गए कर्म आध्यात्मिक ऊर्जा में परिवर्तित हो, विश्व व ब्रह्मांड को शांत करने में सहयोगी होते हैं।
जीवन की इस सच्चाई से परिचित हो श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो सफ़ल जीवन के सूत्र को प्राप्त कर लौटे।
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