संगीत एक दिव्य कला है, जो न केवल खुशी का बल्कि भगवान-प्राप्ति का भी माध्यम है। भक्ति संगीत आत्मा के साथ समस्वरण से प्रेरित संगीत है। आध्यात्मिक संगीत, ईश्वर की वास्तविक भक्ति की गहराई से उत्पन्न असीम आनंद की अभिव्यक्ति है। साधारण गाने मन का रंजन तो करते है पर दैवीय अहसास की चमक उत्पादन नहीं कर पाते हैं। भक्ति संगीत से उत्पन्न सुर, ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ समस्वरण स्थापित करते हैं। "सृष्टि के आरम्भ में शब्द था, शब्द ही ईश्वर के साथ था और शब्द ही भगवान था"। पूर्ण गुरु की कृपा द्वारा सामंजस्यपूर्ण संगीत और अर्थपूर्ण शब्दों को आत्मा जागृति में परिवर्तित किया जा सकता है।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 10 नवंबर, 2018 को पंजाब के मलोट में भक्तों की आंतरिक आत्मा के साथ समस्वरण हेतु "भक्ति संगीत कार्यक्रम" आयोजित किया। कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में भक्त एकत्र हुए।
कार्यक्रम वक्ता साध्वी जयंती भारती जी ने समझाया कि भक्ति एक प्रबुद्ध और शक्तिशाली मार्ग है जो एक व्यक्ति को पूर्ण आध्यात्मिक गुरु की कृपा द्वारा आत्म-प्राप्ति के शिखर पर पहुंचाने हेतु सहयोग करती है। समय के पूर्ण आध्यात्मिक गुरु ही भक्ति का सही मार्ग दिखा, हृदय गुफा में छुपा हुआ रहस्य प्रकट करते हैं। अपनी शिक्षाओं और मार्गदर्शन के माध्यम से वह शिष्य को वास्तविकता से परिचित करवा मुक्ति मार्ग प्रदान करते हैं।
भक्ति के मार्ग पर दृढ़ता से चलने हेतु शिष्य को अपने आध्यात्मिक गुरु पर पूर्ण विश्वास और समर्पण होना चाहिए। भक्ति द्वारा जीव जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति का मार्ग प्राप्त करता है। ईश्वर का सच्चा भक्त, भगवान के ध्यान या उनके साथ एकता के अलावा कुछ भी नहीं मांगता है। इसका अर्थ है कि शिष्य अपने शिष्यत्व की पूर्णता हेतु अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए बलिदान देने को तैयार हैं। इसका मतलब यह है कि चाहे चुनौतियां कितनी भी कठिन हो परन्तु भक्ति की शक्ति से वह उन सब पर विजय प्राप्त कर लेता है।
इस कार्यक्रम ने लोगों को जागृत करते हुए आत्म-प्राप्ति का संदेश दिया, जो भक्ति का सार है।
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