दिव्य ज्योति वेद मन्दिर द्वारा वर्चुअल ज्ञानाञ्जनशलाकया कार्यशाला का राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन ५-१० दिसम्बर, २०२२ तक किया गया।
कार्यशाला का आरम्भ गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के चरणों में "गुरु स्तोत्रम" के उच्चारण के साथ हुआ। तदोपरान्त, शिक्षकों ने "दिव्य नियमावली" से व्याकरण के नियम व "उच्चारण स्थान" पर एक संक्षिप्त पुनरावृत्ति सत्र रखा जिसके माध्यम से सभी वेदपाठियों ने वैदिक शिक्षाओं- प्रातिशाख्यों के नियमों को कंठस्त करने का प्रयास किया। तदोपरान्त, अभ्यासशाला सत्र में सभी विद्यार्थियों ने दिव्य ज्योति वेद मन्दिर कृत शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के ऑडियो-विसुअल के साथ उच्चारण अभ्यास किया। इस सत्र के माध्यम से विद्यार्थियों ने अपने उच्चारण को और परिष्कृत किया व उच्चारण करते समय किस प्रकार श्वास को नियंत्रित किया जाए ये भी जाना।
कार्यक्रम को समापन की ओर ले जाते हुए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रचारकों ने संस्कृत की विशेषता और वैदिक सनातन संस्कृति के महत्व को सबके समक्ष संप्रेषित किया। उन्होंने समझाया कि केवल गुरु की अनुकम्पा तथा 'ब्रह्मज्ञान' की ध्यान-साधना के उपरान्त ही वेदों के मर्म को सही माईने में समझा जा सकता है। विद्यार्थी जनों ने भी रुद्री पाठ सीखने के बाद आए सकारात्मक परिवर्तन और दिव्य अनुभवों को सबके साथ साँझा करते हुए दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के चरणों में आभार प्रकट किया।
विश्व शांति और सद्भावना की कामना करते हुए सभी ने कार्यक्रम को शान्ति पाठ के सामूहिक उच्चारण के साथ विराम दिया।