बच्चे देश का भविष्य होते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अन्य गतिविधियों को भी करवाया जाये जिसके फलस्वरूप बच्चों की कौशल क्षमता में भी विकास हो सके l समर कैंप बच्चों को रूचिकर वातावरण में नये- नये कौशल को अर्जित करने के लिए अवसर प्रदान करता हैं जो बच्चों को अपनी रचनात्मक क्षमताओं की खोज कर अपनी आकांक्षाओं और रुचियों को विकसित करने में सहायक होता है। इसी पहलु को ध्यान में रखते हुए मंथन-सम्पूर्ण विकास केन्द्र द्वारा प्रत्येक वर्ष समर कैंप का आयोजन किया जाता है जिसके माध्यम से बच्चों को कला के अलग-अलग क्षेत्रों से अवगत करवाया जाता है l प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी मंथन-सम्पूर्ण विकास केन्द्र द्वारा 21 जून से 30 जून 2022 तक राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन समर कैंप का आयोजन किया गया । जिसमें 100 से अधिक बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया l
समर कैंप का आरंभ अंतराष्ट्रीय योग दिवस से किया गया l जिसका संचालन नैनीताल के S.S Jena Campus के योग प्रशिक्षक श्री राकेश सिंह जी द्वारा किया गया l योग सत्र का प्रारम्भ सरल एवं सहज व्यायामों के साथ किया गया l योग प्रशिक्षक द्वारा योग-आसनों के निर्देशों के साथ उनके लाभों को भी बताया गया । बच्चों को, शारीरिक, मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए दैनिक जीवन में ध्यान और प्राणायाम के महत्व पर प्रकाश डाला गया। बच्चों की एकाग्रता में सुधार लाने हेतु नियमित योग का अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित किया गया l
योग सत्र के अतिरिक्त बच्चों के लिए शिल्प कला, मंडाला कला, डूडलिंग कला, संगीत के साथ-साथ नैतिक शिक्षा तथा पौष्टिक संस्कारशाला का भी आयोजन किया गया l नैतिक सत्र में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रचारिका साध्वी नीमा भारती जी एवं साध्वी परमायोगा भारती जी द्वारा महाराणा प्रताप जी के जीवन चरित्र पर आधारित देशभक्ति, उत्साह तथा दृढ़ संकल्पों से ओतप्रोत बहुमुल्य नैतिक पाठों को बच्चों के साथ साँझा किया गया। पौष्टिक संस्करशाला के माध्यम से बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक खान-पान, साफ-सफाई और स्वस्थ रहने की अच्छी आदतों के बारे में जागरूक किया गया । समर कैंप में आयोजित सभी गतिविधियों जैसे प्रश्नोत्तरी, नृत्य और कविता पाठ में बच्चों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया और अपनी जिज्ञासा का समाधान प्राप्त कर अपना ज्ञानवर्धन किया ।
अंत में सभी बच्चों और कार्यकर्ताओं ने सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का धन्यवाद किया जिनकी असीम कृपा के माध्यम से सभी को यह सुअवसर प्राप्त हुआ जिसके माध्यम से बच्चों ने पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ कलात्मक क्षमता का विकास किया l