नवरात्रि पर्व का मार्मिक संदेश
नवरात्रि का नौ दिवसीय पर्व, जहां एक ओर हमें याद दिलाता है — लाल वस्त्रों में सजी कंजकों की, कूटू और साबूदाना जैसे व्रत के व्यंजनों की, माँ के भजनों की, जागरण व माता की चौकी की, सुबह-शाम की दुर्गा आरती की, और भक्तिभाव से युक्त गरबा नृत्य की — वहीं दूसरी ओर यह पर्व एक गहन आत्ममंथन और आध्यात्मिक जागृति का भी आह्वान करता है। नवरात्रि पर्व केवल तामसिक भोजन या पदार्थों के ही त्याग का नहीं, बल्कि तामसिक विचारों के भी परित्याग की प्रेरणा देता है, हमें मात्र परंपराओं तक सीमित न रखकर, अंतर्मन की शुद्धि की ओर अग्रसर करता है। निःसंदेह, यह पर्व अच्छाई की बुराई पर और सत्य की असत्य पर विजय का प्रतीक है।
इसी संदर्भ में दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं, "हर भ्रष्ट कार्य के पीछे एक भ्रष्ट सोच होती है। जब तक हम अपने विचारों को ईश्वर की ओर नहीं मोड़ते, तब तक हम सही और गलत, अच्छाई और बुराई के बीच अंतर नहीं समझ सकते। और जब तक हम यह विवेक नहीं विकसित करते, तब तक हम एक सच्चा, मानवीय गुणों से परिपूर्ण समाज नहीं बना सकते।"
नवरात्रि - एक प्रश्नचिह्न
आज नवरात्री पर एक ओर तो समाज, ईश्वर के नारी रूप का सम्मान एवं वंदन करता है, दूसरी ओर कन्या भ्रूण हत्या और महिलाओं के विरुद्ध होने वाली हिंसा जैसे जघन्य अपराधों में भी लिप्त है। अतः नवरात्रि पर्व स्वयं एक प्रश्नचिह्न बनकर सामने आता है— कन्या पूजन के देश में कन्या भ्रूण हत्या क्यों? दुर्गा पूजन के देश में महिलाओं के साथ हिंसा क्यों?
इसी विचारधारा को लिए, दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संस्थापित ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ का लिंग समानता प्रकल्प 'संतुलन' पिछले दो दशकों से, प्रत्येक चैत्र और शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर एक विशेष अभियान चलाता आ रहा है, जिसके माध्यम से समाज में महिलाओं का दर्जा गिराने वाली निराधार एवं विकृत सांस्कृतिक अवधारणाओं का शास्त्रों के गूढ़ एवं रहस्यमयी तथ्यों के आधार पर खंडन किया जाता है।
नारी सम्मान की नवीन सामाजिक चेतना का निर्माण
नवरात्रि विशेष इस अभियान के अंतर्गत, देशभर में सार्वजनिक स्थलों पर जागरूकता प्रदर्शनियाँ, नुक्कड़ नाटक तथा शिक्षाप्रद कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं। ये कार्यक्रम विशेष रूप से मंदिरों में आयोजित होते हैं, जहाँ श्रद्धालुओं की आध्यात्मिक भावना को ध्यान में रखते हुए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जाता है—‘सामाजिक परमार्थ’ का। मंदिरों में आए श्रद्धालुओं को वन-टू-वन काउंसलिंग के माध्यम से यह समझाया जाता है कि नवरात्रि पर्व केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में व्याप्त लिंग असमानता एवं महिला विरुद्ध हिंसा विशेष रूप से कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम करने का एक अवसर भी है। विचारणीय है, इस प्रक्रम में श्रद्धालुओं की आस्था को चुनौती नहीं दी जाती, बल्कि उनके भक्ति भाव को एक व्यापक दिशा प्रदान की जाती है। इन भक्तों को सामाजिक परिवर्तन के प्रतिनिधि —चेंज एजेंट्स—बनाया जा रहा है, तथा उन्हें पीयर एजुकेटर्स के रूप में प्रशिक्षित भी किया जा रहा है, जो समाज में लिंग-समानता और महिला-सशक्तिकरण के संदेश को आगे बढ़ाते हैं। इस प्रकार से नवरात्रि अभियान के माध्यम से DJJS के संतुलन प्रकल्प ने समाज में एक नवीन सामाजिक चेतना का उद्भव किया है जहाँ कन्याओं के महत्व और सम्मान को एक परंपरा के रूप में नई पहचान प्राप्त हो रही है।
इस अभियान के माध्यम से एक समृद्ध सामाजिक संस्कृति का निर्माण हुआ है। जहाँ पहले सामाजिक परिवर्तन के इस महत्वपूर्ण विषय पर नवरात्रि के दौरान जागरूकता फैलाने का कार्य केवल संतुलन ही कर रहा था, वहाँ आज संतुलन के प्रयासों से प्रेरित व प्रभावित होकर सैकड़ों सामाजिक संस्थाएँ इस मुहिम को आगे बढ़ा रही हैं। संतुलन की यह अग्रणी भूमिका सामाजिक जागरूकता और बदलाव के लिए एक मिसाल बन चुकी है।
प्रतिवर्ष नवरात्रि अभियान के अंतर्गत DJJS के संतुलन प्रकल्प द्वारा पूरे देश में लगभग 200 प्रेरणादायक कार्यक्रमों का आयोजन करता है। पिछले 2 दशकों में अब तक 8,000 से अधिक कार्यक्रमों के माध्यम से यह पहल 50 लाख से भी अधिक लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया गया है ।
महिला उत्थान के प्रयास, सोशल मीडिया के माध्यम से
संतुलन प्रकल्प केवल ओन-ग्राउंड कार्यक्रमों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अपने सोशल मीडिया हैंडल @DJJSSantulan के माध्यम से भी देश-विदेश में नवरात्रि पर्व के अवसर पर महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण हेतु जागरूकता का व्यापक प्रचार कर रहा है। चाहे बात हो महिलाओं के प्रति रूढ़िवादी सोच के खंडन की, देवी के नौ रूपों के वास्तविक अर्थ की व्याख्या की, नवरात्रि में सात्विक आहार के महत्व की या फिर ‘शक्ति और महिला सशक्तिकरण’ पर प्रेरणादायी संवाद की — संतुलन अपने सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से हर पहलू को जन-जन तक पहुँचा रहा है।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के ऑफिशल यूट्यूब चैनल @DJJSWorld पर भी समय-समय पर नवरात्रि विशेष वीडियो प्रकाशित किए जाते हैं। इन वीडियो में देवी भगवत कथा की गूढ़ व्याख्या, महिषासुर मर्दिनी के माध्यम से दिया गया महिला सशक्तिकरण का संदेश, नवरात्रि विशेष भजन, तथा अन्य प्रेरणादायक प्रस्तुतियाँ सम्मिलित होती हैं। ये सभी प्रस्तुतियाँ नवरात्रि को केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, जागरूकता और सशक्तिकरण का उत्सव बनाने की दिशा में एक सार्थक प्रयास हैं।
भर हुंकार महिष मर्दिनी सी, 2025 थीम
22 सितम्बर 2025 से संतुलन प्रकल्प का नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि अभियान देश भर में अपनी छाप छोड़ेगा, जिसकी थीम है — "भर हुंकार महिष मर्दिनी सी!" यह थीम केवल एक भाव नहीं, बल्कि — नारी के भीतर छिपी दैवीय शक्ति को पहचानने और उसे जगाने का आह्वान है।
संतुलन प्रकल्प की वैश्विक प्रमुख साध्वी दीपिका भारती जी कहती हैं, “माँ महिषासुर मर्दिनी की कथा केवल एक पौराणिक कहानी नहीं है, बल्कि एक प्रेरक और क्रांतिकारी केस स्टडी है, जो बताती है कि जब एक नारी आध्यात्मिक जागृति को प्राप्त करती है, तो वह अपने सर्वोच्च स्वरूप में प्रकट होती है। यह अभियान महिलाओं को उनके "बेस्ट वर्ज़न" बनने की ओर प्रेरित करता है! साथ ही, यह समाज को यह स्मरण कराता है कि — नारी का सम्मान, माँ आदिशक्ति की प्रसन्नता को प्राप्त करने का मार्ग है।”
‘भर हुंकार महिष मर्दिनी सी’ नामक इस विशेष अभियान के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों के मुख्य आकर्षण कुछ इस प्रकार होंगे — माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों पर आधारित ज्ञानवर्धक क्विज़, संतुलन स्वयंसेवकों द्वारा प्रस्तुत प्रेरणादायक थिएटर, नवरात्रि पर्व पर केंद्रित रोचक गतिविधियाँ, देवी दुर्गा द्वारा प्रदत्त महिला सशक्तिकरण के सफलता-सूत्रों पर शिक्षाप्रद व्याख्यान, तथा ‘सेल्फी विद गॉडेस दुर्गा’ नामक एक भव्य एवं मनोहारी प्रदर्शनी।
संस्थान एवं संस्थागत प्रयास व उपलब्धियां
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (DJJS) एक आध्यात्मिक एवं सामाजिक संस्था है, जो विश्व में शांति एवं बंधुत्व की स्थापना हेतु कार्यरत है। संस्थान, अपने नौ प्रमुख सामाजिक प्रकल्पों के माध्यम से, समाज के प्रत्येक वर्ग के समग्र कल्याण हेतु निरंतर सक्रिय है। इन्हीं प्रकल्पों में से एक है—संस्थान का लिंग समानता एवं महिला सशक्तिकरण प्रकल्प ‘संतुलन’।
‘संतुलन’ भारत का अग्रणी महिला सशक्तिकरण प्रकल्प है, जो लगभग 65,000 निःस्वार्थ महिला स्वयंसेविकाओं और 6,000 सन्यासी साध्वियों की समर्पित टीम के साथ, महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव एवं हिंसा के उन्मूलन हेतु सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। पिछले 2 दशकों में संतुलन प्रकल्प से साथ लगभग 6.5 लाख महिला लाभार्थी जुड़ चुकी हैं। इतना ही नहीं, ‘संतुलन’ आध्यात्मिक जागृति के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने तथा उन्हें 21वीं सदी की वैदिक नारी बनाने के लिए सतत प्रयासरत है।
कॉर्पोरेट सेमिनार, लाइव वेबिनार, शैक्षणिक संस्थानों में कार्यशालाएँ, ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम, जागरूकता अभियान, सहभागी प्रकल्प, तथा रोड शो और रैलियों जैसे बड़े पैमाने पर आयोजित जन-जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से ‘संतुलन’ न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जमीनी स्तर पर कार्य कर रहा है। ‘संतुलन’ द्वारा आयोजित कार्यक्रमों ने प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों एवं कॉर्पोरेट क्षेत्रों में स्थायी प्रभाव छोड़ा है।
आइए, संतुलन के इस अभियान से जुड़कर समाज के उत्थान में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं। अधिक जानकारी एवं अपडेट्स के लिए Instagram, Facebook और X (Twitter) पर अभी फॉलो करें — @DJJSSantulan