जब भारत का वास्तविक इतिहास खोजा जाएगा, तब यह सिद्ध हो जाएगा कि जैसे धर्म के क्षेत्र में, वैसे ही ललित कला के क्षेत्र में भी भारत संपूर्ण विश्व का आदि गुरु है

- स्वामी विवेकानंद
प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाने वाला गणतंत्र दिवस इस देश के इतिहास का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह दिन भारत के सर्वोच्च विधान- संविधान से जुड़ा है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 26 जनवरी, 2023 को 74वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली में ‘संकल्प में दृढ़ता’ विषय के तहत एक प्रेरक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिष्यों का ध्यान जीवन के आध्यात्मिक लक्ष्य की ओर पुनः केन्द्रित करना व भक्ति पथ पर उत्साह से आगे बढ़ते रहने के लिए उनमें दृढ़ता का संचार करना था। साधारणतः व्यक्ति संसार में जीविकोपार्जन के लिए कार्य करते हुए अपने आध्यात्मिक लक्ष्य को भूल जाता है। इस प्रकार के आध्यात्मिक कार्यक्रम शिष्यों में मानसिक व आध्यात्मिक शक्ति का संचार कर उन्हें अन्तर्जगत के महासागर में गहन ध्यान करने के लिए संकल्प बद्ध करते हैं।
ध्वजारोहण समारोह ने लोगों के हृदयों में देशभक्ति की भावना को सुदृढ़ किया। महान स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा मातृभूमि के लिए दिए बलिदानों को तरोताजा कर इस समारोह ने सभी को राष्ट्र निर्माण हेतु प्रतिबद्ध किया। इसके अतिरिक्त, श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के स्वयंसेवकों व शिष्यों द्वारा सेवक धर्म, हनुमान, बाबा फरीद व विवेकानंद पर प्रस्तुत नाटकों ने गुरुदेव के मिशन व राष्ट्र के प्रति शिष्यों के कर्तव्य भाव को प्रबल किया।

डीजेजेएस प्रतिनिधियों (श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्यों) के प्रेरणादायक प्रवचनों ने शिष्यों को आध्यात्म के पथ पर दृढ़ता से बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि अध्यात्म भारत की आत्मा है। संतों की इस पुण्य भूमि पर विश्व भर से लोग जीवन की सत्यता, शांति, सुख व अवसाद से मुक्ति प्राप्त करने के लिए आते हैं। परंतु अफ़सोस, इस पावन भूमि पर जन्मी सौभाग्यशाली संतानें, आदर्श जीवन जीने के महत्वपूर्ण तथ्य- आध्यात्मिकता से अछूती रहती जा रही हैं। अधिकतर लोगों का मानना है कि अध्यात्म वृद्ध/व्यर्थ लोगों का कार्य है, परंतु सत्य तो यह है कि अध्यात्म ही एक सम्पूर्ण समृद्ध, सुखी व शांतिपूर्ण जीवन का आधार है। साथ ही यह एक व्यक्ति को जीवन के वास्तविक लक्ष्य की ओर अग्रसर करता है।
यही नहीं, अध्यात्म की सनातन विधि व्यक्ति को अपने सांसारिक कर्तव्यों को ओर बेहतर ढंग से पूर्ण करने में भी सहायता करती है। जीवन जीने की असली कला सिखाती है। जितनी जल्दी हम इस तथ्य को समझ लेंगे उतनी ही शीघ्रता से हम शाश्वत सुख की ओर अग्रसर हो पाएंगे! अध्यात्म का सार है ब्रह्मज्ञान की शाश्वत विधि, जिसे समय के पूर्ण गुरु ही शिष्य को प्रदान कर सकते हैं। इस विधि का नियमित अभ्यास व्यक्ति को आंतरिक व बाह्य जगत में शांति प्रदान करता है। स्वामी विवेकानंद जी ने एक बार कहा था कि ‘भारत को मारा नहीं जा सकता। यह चिरंजीवी है और तब तक खड़ा रहेगा जब तक इसकी आत्मा पृष्ठभूमि के रूप में स्थित रहेगी, जब तक इसके लोग अपनी आध्यात्मिकता को नहीं त्यागेंगे।’
देशभक्ति की भावनाओं से सराबोर इस पवित्र दिवस पर, डीजेजेएस के प्रवक्ताओं ने समझाया कि अगर हम अपने इस भारत देश को हर क्षेत्र में विश्व के मुकुट में चमकती मणि के समान देखना चाहते हैं तो हमें इसकी आत्मा- आध्यात्म से जुड़ना होगा। ब्रह्मज्ञान के शाश्वत विज्ञान पर आधारित ध्यान साधना का नियमित अभ्यास करना होगा, तभी हम सही मायने में गणतंत्र दिवस मना पायेंगे।