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१७ सितम्बर को दिव्य ज्योति वेद मन्दिर द्वारा आयोजित "चौपाल विद गोपाल" नामक अलङ्कृता कार्यशाला के एक आनन्ददायक सत्र में, ४ से १२ वर्षीय बच्चों ने रोचक गतिविधियों के माध्यम से भगवान श्री   कृष्ण  की बचपन की शिक्षाओं को आत्मसात किया।

Alankrita Workshop's Chaupal with Gopal Brings Joyful Learning of Lord Krishna's Childhood

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों के भीतरी कला व संस्कारों को उजागर कर उनमें आत्मविश्वास भरना है   ।

नन्हें बच्चों ने सत्र के आरंभ में  मोर पङ्ख से सुसज्जित कृष्ण आभूषणों को बनाया और स्वयं धारण किया तदोपरान्त कार्यकर्ताओं ने इन अलङ्कारों में छिपे रहस्य को नन्हे बच्चों के समक्ष संप्रेषित किया । बाल कृष्ण की लीलाओं से प्रेरित, बच्चों में प्रकृति जैसे पर्वत, वन, गाय और मोर के महत्व और उनके साथ अपने सम्बन्ध की नई समझ बनी।

Alankrita Workshop's Chaupal with Gopal Brings Joyful Learning of Lord Krishna's Childhood

कार्यशाला बहुत सी आकर्षक गतिविधियों से भरा था, जिसमें प्रश्नोत्तरी, नृत्य और  श्री कृष्ण के सुमधुर  भजनों के गायन के साथ  श्री कृष्ण  जन्मोत्सव पर आधारित एक  लघु चलचित्र सम्मिलित था जीसमें बाल कृष्ण के जीवन और उनके दिव्य सम्बन्ध को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया था।

स्वामी प्रदीपानन्द जी ने समझाया कि पशु-पक्षी भी सकारात्मकता को महसूस कर पाते है और स्वाभाविक रूप से परमात्मा की ओर आकर्षित होते हैं। उन्होने नन्हे बच्चों को भगवान कृष्ण की तरह अपने वास्तविक सकारात्मक रूपों को प्रकट करने के लिए प्रोत्साहित किया जिससे समाज भी सकारात्मक उन्नति कर सके।

"चौपाल विद गोपाल" ने अपने प्रतिभागियों पर एक अमिट छाप छोड़ी, भगवान  श्री कृष्ण की शिक्षाओं में  ज्ञान-सार को सम्मिलित किया, और अन्ततः प्रकृति और आध्यात्मिकता के साथ सद्भाव की भावना को पोषित किया।

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